उज्जैन। कोरोना पॉजीटिव के उपचार में मौका आने पर एंटी वायरल ड्रग के रूप में डॉक्टर रेमडीसीवर इंजेक्शन लिख रहे हैं। यह इंजेक्शन शहर के कतिपय प्रायवेट हॉस्पिटल और आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में विशेष तोर पर सुझाए एवं लगाए जा रहे हैं। इस इंजेक्शन की शहर में कथित कालाबाजारी चल रही है। हालात यह है कि लोग इंदौर जाकर इसे ला रहे हैं। बावजूद इसके इस इंजेक्शन की बिक्री की दरों को लेकर औषधि विभाग कुछ नहीं कर रहा है।
जानकारी के अनुसार रेमडीसीवर इंजेक्शन एक एंटी वायरल ड्रग है। इसका उपयोग अमेरिका में एफडीआई ने स्वीकृत कर रखा है। वहां कोरोना मरीजों को फेफड़ों में संक्रमण होने की स्थिति में लगाया जाता है। यह इंजेक्शन वैसे प्रदेश सरकार ने शासकीय अस्पतालों में लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। वहीं प्रदेश सरकार इसकी खरीदी भी नहीं कर रही है, लेकिन बाजार में इसकी उपयोगिता को लेकर जिस प्रकार से बढ़-चढ़कर दावे किए जा रहे हैं, उसे देखते हुए कतिपय प्रायवेट हॉस्पिटल्स और आर डी गार्डी मेंडिकल कॉलेज में इसकी रिकमेंट डॉक्टर्स कर रहे हैं तथा मरीजों के परिजनों को कहा जा रहा है कि 6 इंजेक्शन के इस डोज को देना चाहिए, संभव है रिकव्हरी हो जाए। यह भी कहा जा रहा है कि इसे लगाने पर कोरोना मरीजों की रिकव्हरी की दर 14 की जगह 10 दिन हो जाती है। कोरोना के नाम से घबराए लोग इसकी खरीदी के लिए हर तरह का जतन कर रहे हैं।
यह है बाजार में भाव
केडिला हेल्थ केयर द्वारा रेमडेक 100 एमजी इंजेक्शन की प्रति वायल की एमआरपी 2800 रू. है। वहीं हेट्रो कम्पनी के इंजेक्शन कोवीफार 100 एमजी की एमआरपी 5400 रू. प्रति वायल है। इसी प्रकार सिपला की सिप्रेमी 100 एमजी की एमआरपी 4000 रू. है। यह भाव जीएसटी जोड़कर है वहीं कतिपय लोग जीएसटी अलग से लगा रहे हैं। ऐसे मेडिकल स्टोर्स भी है जो बगैर बिल के दे रहे हैं और कहा जा रहा है कि बिल लोगे तो जीएसटी देना होगी? मरीज के परिजन सोचते हैं कि जितने रूपये बच जाए,उतने ही सही। इंजेक्शन तो मरीज को ही लगाना है।
इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल से चर्चा करना चाही गई, लेकिन उन्होने मोबाइल फोन रिसिव्ह नहीं किया।
जबकि आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डॉ.सुधाकर वैद्य ने कहाकि एंटी वायरल ड्रग में यह अभी सबसे अधिक चलन में है। परिणाम मिले जुले आ रहे हैं। हमारे यहां उचित समझने पर डॉक्टर्स यह इंजेक्शन लिखते हैं। मरीज के परिजन कहीं से भी लाए,हम किसी दुकान विशेष का नाम नहीं बताते हैं। बाजार में किस भाव में उसे इंजेक्शन मिला, हमे नहीं पता। मरीज के परिजन मना कर देते हैं कि मत लगाओ, तो हम दबाव भी नहीं बनाते हैं।
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