उज्जैन। धार्मिक नगरी के नाम पर पहचाना जाने वाला उज्जैन शहर मुंबई की तरह ही ड्रग्स में प्रदेश का सबसे बड़ा सेंटर बनता जा रहा है। यह प्रमाण पुलिस से लेकर नारकोटिक्स तक की ड्रग्स के खिलाफ हुई कार्रवाई से पता चलता है। पिछले मात्र 11 माह में क्राइम ब्रांच और नारकोटिक्स विंग ने 57 तस्करों को पकड़कर डेढ़ करोड़ की ड्रग्स जब्त की, वहीं नीलगंगा पुलिस ने इस दौरान एनडीपीएस एक्ट में 18 लोगों को ड्रग्स बेचतेे पकड़ा। शहर किस कदर नशे का अड्डा बनता जा रहा है इस बात का प्रमाण यह है कि नीलगंगा क्षेत्र सहित नानाखेड़ा, संावराखेड़ी ब्रिज, चिंतामण रोड स्थित लालपुल और गऊघाट और राजीव रत्न कॉलोनी क्षेत्र से पिछले 3-4 माह के दौरान नीलगंगा थाना पुलिस ने 18 तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 50 लाख से ज्यादा की स्मैक और ब्राउन शुगर बरामद की है।
पुलिस ने ही नशे के तस्कर पकड़े
शहर के 12 थानों की बात की जाए तो पुलिस ने इस साल ड्रग्स के साथ 57 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। इनमें तस्कर और पीने वाले शामिल हैं।
डेढ़ करोड़ की ड्रग्स पकड़ी
क्राइम ब्रांच की बात करें तो उसने इस साल के प्रथम 11 माह में 57 एनडीपीएस के केस दर्ज किए, जिनमें 57 तस्करों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से पुलिस ने डेढ़ करोड़ की ड्रग्स जब्त की है।
नारकोटिक्स ने केवल दो मामले पकड़े
नारकोटिक्स विंग ने इस साल 11 माह में एनडीपीएस एक्ट के तरह 2 केस ही दर्ज किए हैं, जिनमें 2 तस्करों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से लाखों का गांजा बरामद किया गया था।
शहर में एक दर्जन से अधिक नशे के अड्डे
शहर में कुछ क्षेत्र नशे के अड्डे बन गए हैं, जिनमें केडीगेट, बेगमबाग, तोपखाना, मक्सीरोड, हीरामिल की चाल, बापू नगर, हरिफाटक क्षेत्र, लोहे का पुल सहित नीलगंगा क्षेत्र के अलग-अलग हिस्से हैं जहां तस्करों का जमावड़ा रहता है और यहां से पुलिस ने कई तस्करों को गिरफ्तार किया है।
सर्वाधिक राजस्थान से होती है तस्करी
पूरे देश में अफीम की खेती के लाइसेंस केवल मध्यप्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर के गांव को ही दिए जाते हैं। इसके चलते यहीं से ड्रग्स की सप्लाई होती है। उज्जैन शहर लंबे समय से ड्रग्स का क्रॉसिंग पॉइंट रहा है, क्योंकि यहां से राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात सहित महाराष्ट्र जाने का मार्ग बना हुआ है और यहाँ से आसानी से नशा लेकर तस्कर गुजर जाते हैं। पुलिस की चैकिंग भी ढीली होने के कारण अधिकांश मामले में तस्कर बचकर निकल जाते हैं।
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