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    illegal Relationship: दो लोगों का संबंध बनाना नहीं है क्राइम, फिर क्‍यों कहा जाता है ‘नाजायज’?

  • February 03, 2022


    नई दिल्लीः देश में अवैध संबंधों को लेकर अक्सर बातें होती रहती हैं. कोई इस पर बात करना चाहता है, तो कोई बात करने से झिझकता है. हालांकि, हमारे समाज में अवैध संबंधों को बुरा माना जाता है. इस तरह के रिलेशनशिप किसी को पसंद नहीं होते. हालांकि, भारत में कानून की नजर में अवैध संबंध अपराध नहीं है.

    सगे-संबंधियों में बने संबंध हैं अवैध
    हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA हिंदी में छपी खबर के अनुसार, उन संबंधों को अवैध कहा जाता है. जहां दो लोग बीच कानूनी तौर पर शादी नहीं हो सकती है, लेकिन शारीरिक संबंध बनाते हैं. हालांकि, परिवार और समाज में ऐसे रिश्तों को बुरी नजर से देखा जाता है और मान्यता नहीं दी जाती है. वहीं, कानून की नजर में यह अपराध नहीं है.

    सहमति से बना संबंध नहीं माना जाता अपराध
    कानून के जानकारों का कहना है कि दो बालिग लोगों के बीच में आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध को कानून में अपराध नहीं माना जाता है. DNA हिंदी को एडवोकेट अनुराग बताते हैं कि दो वयस्कों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनाना अपराध नहीं है. यह सामाजिक अपराध हो सकता है, लेकिन कानूनी तौर पर अपराध नहीं है. कानून की नजर में दो लोगों के बीच शारीरिक संबंध तब अपराध की श्रेणी आता है, जब एक पक्ष की बिना सहमति से यह बना हो.


    समाज में मानी जाती है बुरी बात
    वह बताते हैं कि 1650 तक इंग्लैंड में भी ऐसे संबंधों को बुरी नजर से देखा जाता था. वहां अवैध संबंध होने पर मौत तक की सजा सुना दी जाती थी. इसको लेकर वहां कई हत्याएं भी हुईं, लेकिन वहां फिर बदलाव आया. भारतीय समाज में भी ऐसी ही स्थिति है. समाज में रहना है, तो नियम मानने ही पड़ेंगे, लेकिन कानून की नजर में अवैध संबंध अपराध नहीं हैं. कई बार महिलाएं शर्म, झिझक या सामाजिक बदनामी की वजह से परिवार के किसी पुरुष द्वारा किए गए शारीरिक शोषण पर बात नहीं कर पाती हैं. कई बार कम उम्र की बच्चियां भी शिकार बनती हैं. ऐसी परिस्थितियों पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए.

    16 वर्ष से कम उम्र के साथ संबंध बनाना है अपराध
    दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के काउंसिल एडवोकेट विशाल अरुण मिश्र कहते हैं कि पीड़ित की उम्र 16 वर्ष से कम होने पर, उसके साथ बनाया गया अवैध संबंध चाइल्ड रेप की श्रेणी में आता है. इंडियन पिनल कोड (IPC) आपसी सहमति से बने अवैध संबंधों को अपराध नहीं मानती है. भारतीय विधि आयोग ने साल 2000 में ऐसे मामलों पर चिंता जाहिर की थी, जहां परिवार का कोई सदस्य या रिश्तेदार यौन शोषण करता है.

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