नई दिल्ली। इजरायल ने हाल के सालों में मिडिल ईस्ट के कई देशों के साथ संबंध राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं। बहरीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने इजरायल के साथ संबंध बहाल किए हैं और अब इस लिस्ट में सऊदी अरब नया देश हो सकता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इजरायल और सऊदी अरब के अधिकारी इस समझौते को अंतिम रूप में जुटे हुए हैं और अमेरिकी जो बाइडेन सरकार इसके पीछे है।
‘सवाल यह नहीं है कि क्या सऊदी, इजरायल को एक पड़ोसी के रूप में स्वीकार करेगा’
सऊदी अरब अब तक इजरायल को मान्यता नहीं देता है और दोनों देशों के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि सऊदी और इजरायल के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है और इसके सफल होने पर मध्य पूर्व की राजनीति में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के दो सबसे प्रभावशाली देशों के बीच दशकों की दुश्मनी खत्म हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि सवाल अब यह नहीं है कि क्या सऊदी अरब इजरायल को एक पड़ोसी के रूप में स्वीकार करेगा, बल्कि सवाल यह है कि यह कब होगा।
संबंध सामान्य होने में लग सकता है वक्त
रिपोर्ट बताती है कि सऊदी अरब ने कई इजरायली व्यापारियों को सऊदी अरब की यात्रा करने की इजाजत दी है क्योंकि दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों को गहरा करना चाहते हैं। सऊदी सरकार यह कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि इजरायल के साथ संबंधों के सऊदी की जनता के बीच समर्थन बढ़ रहा है। हालंकि एक्सपर्ट्स इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि आधिकारिक राजनयिक संबंध अभी सालों दूर हो सकते हैं।
अब्राहम समझौता है टर्निंग पॉइंट
रिपोर्ट्स बताती हैं कि सऊदी-इजरायल समझौते के जरिए अमेरिका सऊदी अरब से जारी तनावपूर्ण संबंधों को भी सुधारने की दिशा में काम कर रहा है। वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी से जुड़े डेविड माकोवस्की ने कहा है कि इजरायल सऊदी अरब के साथ सामान्य करना चाहता है और सऊदी अरब बाइडेन प्रशासन के साथ संबंधों को सामान्य करना चाहता है। अमेरिका इजरायल-फिलिस्तीन समझौते से पहले अरब के देशों का इजरायल से संबंध बनाने की पहल कर रहा है। हालांकि सऊदी अरब और इजरायल दशकों तक एक दूसरे के दुश्मन रहे हैं लेकिन 2020 में हुए अब्राहम समझौते के बाद से इजरायल और अरब देशों के बीच संबंध बनने शुरू हो गए हैं।
दोनों देश चाहते हैं सामान्य संबंध
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि इजरायली अधिकारियों ने पिछले कुछ सालों में कई बार सऊदी अरब का दौरा किया है। इसमें पूर्व इजरायली पीएम बेंजामिन नेतान्याहू का दौरा भी शामिल है। नेतान्याहू के साथ बैठक में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान शामिल थे। इससे भी पहले इजरायली खुफिया सेवा के प्रमुख रहे योसी कोहेन ने भी दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने की कोशिश की थी।
नेताओं का रुख
इजरायल के विदेश मंत्री यायर लैपिड ने पिछले हफ्ते कहा है कि हमारा मानना है कि सऊदी अरब के साथ सामान्यीकरण की प्रक्रिया संभव है। यह हमारे हित में है। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान सऊदी प्रिंस सलमान ने कहा कि वह इजरायल के साथ काम करने का समर्थन करते हैं – एक ऐसी स्थिति जो कुछ साल पहले अकल्पनीय होती। उन्होंने आगे कहा था कि हम इजरायल को एक दुश्मन के रूप में नहीं देखते हैं, हम उन्हें एक संभावित सहयोगी के रूप में देखते हैं, कई हितों के साथ जिन्हें हम एक साथ आगे बढ़ा सकते हैं लेकिन हमें उस तक पहुंचने से पहले कुछ मुद्दों को हल करना होगा।
फिलिस्तीनी अथॉरिटी से सऊदी अरब का मोहभंग?
वॉल स्ट्रीट जर्नल से बात करते हुए एक सऊदी अधिकारी ने कहा है कि हमारा राष्ट्रपति महमूद अब्बास द्वारा संचालित फिलिस्तीनी अथॉरिटी से मोहभंग हो गया है। हमने गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले फिलिस्तीनी आतंकि समूह हमास के लिए ईरान के समर्थन का विरोध किया है। अगर हमास खुद को बचाने के लिए ईरान के साथ संबंध बनाता है, तो हम खुद को बचाने के लिए ईरान के खिलाफ इजरायल के साथ संबंध क्यों नहीं बन सकते?
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