भोपाल। भूमि और भवनों की रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्रार दफ्तर के झंझटों से मुक्ति मिलने वाली है। ऐप से रजिस्ट्री के लिए नई कलेक्टर गाइड लाइन के साथ ही इस बार प्रदेश के रजिस्ट्री दफ्तरों में जीआईएस टैगिंग की तैयारी की जा रही है। कलेक्टर की गाइडलाइन में दर्ज एक लाख लोकेशन के आधार पर हर प्रॉपर्टी की जीआईएस टैगिंग की जा रही है। लोकेशन वाइस विभाग के सॉफ्टवेयर में इन लोकेशनों को दर्ज किया जा रहा है। इसके बाद इसे मोबाइल ऐप से जोड़ा जाएगा। इस ऐप पर लोकेशन डालते ही प्रॉपर्टी की सारी जानकारी सामने आ जाएगी। इससे रजिस्ट्री कराने में आसानी होगी और आगामी दिनों में मोबाइल ऐप से रजिस्ट्री हो सकेगी। नए वित्तीय वर्ष के साथ ही जमीन के भाव तय करने के लिए हर साल नई गाइडलाइन लागू की जाती है। इसमें लोकेशन वाइस शहरों में जमीनों के रेट तय किए जाते हैं, इस बार जीआईएस टैगिंग पर भी काम किया जा रहा है। संपदा सॉफ्टवेयर में बदलाव की तैयारी है। इसमें लोकेशन फीडिंग की जा रही है।
विवादों पर रोक लगेगी
ऐप के उपयोग से एक्चुअल जमीन की रजिस्ट्री हो सकेगी। रजिस्ट्री को लेकर होने वाले विवादों पर रोक लगेगी। सरकार को भी राजस्व मिलेगा। कुछ छिपाया नहीं जा सकेगा। नगर निगम को भी इससे फायदा होगा और क्योंकि टैगिंग होने से प्रॉपर्टी की सही वैल्यू और सही स्थिति पता चल सकेगी। इससे संपत्ति कर भी ज्यादा मिलेगा।
ऐप से ऐसे पता कर सकेंगे प्रॉपर्टी की जानकारी
ऐप को लोड करना होगा। ऐप के फोटो ऑप्शन पर जाना होगा। आपको जिस प्रॉपर्टी की जानकारी चाहिए उसका फोटो खींचना होगा। फोटो जैसे ही ऐप पर लोड होगी जीआईएस मैपिंग के जरिए प्रॉपर्टी की लोकेशन मिल सकेगी और ऑटोमैटिक वेरीफिकेशन होगा और जानकारी सामने आ जाएगी। इसके बाद आपके सामने प्रॉपर्टी की वैल्यू भी सामने आ जाएगी। कितना स्टाम्प शुल्क लगेगा। इसकी जानकारी भी आ जाएगी। इसके बाद आप रजिस्ट्री करा सकते हैं।
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