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    2 करोड़ से ज्यादा के 3 भूखंडों की रजिस्ट्री डेढ़ लाख में करवा दी

  • August 04, 2020


    अजब-गजब… समाप्त हो चुकी संस्था को 11 साल बाद किया जीवित… गौतम गृह निर्माण के चौंकाने वाले फर्जीवाड़े
    बलि का बकरा बनाए सहकारिता निरीक्षक की नौकरी कर दी बहाल, घोटाले के असल दोषी बड़े अफसर फिर बच निकले
    इंदौर, राजेश ज्वेल। गृह निर्माण संस्थाओं के चौंकाने वाले घोटालों में गौतम गृह निर्माण संस्था भी शामिल है, जिसमें अजब-गजब तरीके से परिसमापन के 11 साल बाद लगभग साढ़े 8 एकड़ जमीन प्रकट हो गई, जिसमें से 15 हजार स्क्वेयर फीट के तीन भूखंडों की रजिस्ट्री भी अपात्रों को करवा दी। दो करोड़ 13 लाख रुपए की गाइड लाइन के विपरित मात्र डेढ़ लाख रुपए में ये रजिस्ट्रियां करवाई गई, जिसकी जांच के बाद सहकारिता निरीक्षक एमसी पालीवाल को नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया था। अब उनकी वापस सहकारिता मंत्रालय ने बहाली कर दी है। अब इस संस्था के घोटालों की नए सिरे से जांच भी शासन निर्देश पर शुरू की गई है। वर्तमान में लगभग 100 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन पर भूमाफियाओं का ही कब्जा है।
    शहर की कई गृह निर्माण संस्थाएं भूमाफियाओं के कब्जे में रही और सदस्यों की जमीनों की मनमाने तरीके से अफरा-तफरी की गई। इसमें गौतम गृह निर्माण का फर्जीवाड़ा भी बड़ा रोचक है। 2003 में तत्कालीन उपायुक्त ने इस संस्था को परिसमापन में डाल दिया। यानी यह बताया गया कि संस्था के पास अब कोई जमीन ही सदस्यों को देने के लिए नहीं बची है। संस्था की जमीन बिजलपुर में है और 11 साल बाद लगभग साढ़े 8 एकड़ जमीन अचानक प्रकट हो गई और संस्था को पुन: जीवित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी और सर्वे नम्बर 25/2/1 की लगभग 15 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर 5-5 हजार के तीन भूखंडों की रजिस्ट्रियां भी अपात्रों को करवा दी। इसके लिए सहकारिता विभाग ने एक उपकमेटी गठित की थी, जिसके प्रमुख तत्कालीन प्रशासक और वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक एम.सी. पालीवाल थे, जिन्होंने तत्कालीन उपायुक्त जगदीश कनौज की अध्यक्षता में गठित समिति में लिए निर्णय अनुरूप भूखंडों की रजिस्ट्रियां करवाई। समिति में श्री कनौज के अलावा वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक बीएस चौहान भी शामिल थे, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई ना करते हुए बली का बकरा पालीवल को ही बनाया गया और उन्हें 15 जनवरी 2019 को पहले तो आरोप-पत्र जारी किया, उसके बाद दूसरा आरोप पत्र 25 फरवरी को देने के बाद 28 मई को नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद पालवील ने अपने इस आदेश के खिलाफ सहकारिता विभाग मंत्रालय भोपाल ने अपील प्रस्तुत की, जिसका निराकरण अभी अवर सचिव गायत्री पाराशर ने किया, जिसमें उन्होंने यह पाया कि उक्त प्रकरण में जालसाजी और अनियमितता की जिम्मेदार कमेटी के अध्यक्ष और अन्य की भी है और एक ही अधिनस्थ को जिम्मेदार मानना तार्किक नहीं है और नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश भी कठोर प्रतीत होता है। लिहाजा पालीवाल को पुन: बहाल किया जाता है और उपपंजीयक सहकारी संस्था जिला आलीराजपुर में उन्हें पदस्थ किया जाता है। इस मामले में तथ्य यह है कि जिन तीन भूखंडों की रजिस्ट्रियां करवाई गई उसकी कलेक्टर गाइड लाइन तत्समय ही एक भूखंड की कीमत ही 73.63 लाख रुपए थी, लेकिन मात्र 50 हजार रुपए लेकर रजिस्ट्री करवा दी। इस तरह तीनों भूखंडों पर 2.13 करोड़ की चपत संस्था को लगाते हुए डेढ़ लाख रुपए में ही ये तीनों भूखंड आबंटित कर डाले और अभी भी इस संस्था पर चर्चित भूमाफियाओं का कब्जा है। लगभग साढ़े 8 एकड़ जमीन की वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपए से कम नहीं है। पिछले दिनों भी मुख्यमंत्री के निर्देश पर फिर से माफियाओं के खिलाफ जो कार्रवाई पुलिस-प्रशासन ने शुरू की उसमें गौतम गृह निर्माण के फर्जीवाड़े भी शामिल हैं। अन्य संस्थाओं की तरह इसमें भी चौंकाने वाले फर्जीवाड़े किए गए और अब यह जमीन अत्यंत बेशकीमती भी हो गई है और जांच तो इस बात की भी होना चाहिए कि परिसमापन में ली गई संस्था 11 साल बाद कैसे जीवित हो गई और इसके असल दोषी जिम्मेदार अधिकारियों पर भी गाज गिरना चाहिए।
    5 साल से रजिस्ट्रियां नहीं हो सकी निरस्त
    गौतम गृह निर्माण संस्था का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद 2015 में ही तीनों रजिस्ट्रियों को शून्य घोषित करवाने के लिए कोर्ट में प्रकरण दायर कर दिए और नौकरी से हटाए गए पालीवाल ने ही कोर्ट में यह प्रकरण लगाए हैं और वे अपनी जेब से खर्चा भी कर रहे हैं, लेकिन 5 सालों में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन तीनों रजिस्ट्रियों को शून्य घोषित नहीं करवा पाए। बार-बार भूमाफियाओं केे इशारे पर कोर्ट की तारीख बढ़ जाती है। वर्तमान में सब ऑडिटर आशीष सेठिया परिसमापक का काम देख रहे हैं।
    रमानी के दफ्तर से जब्त हुआ था रिकॉर्ड
    पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान शुरू करवाया और इंदौर की गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े भी जांच में पुलिस-प्रशासन ने लिए और बॉबी छाबड़ा सहित अन्य माफियाओं की गिरफ्तारी तो हुई, वहीं उनके ठिकानों पर छापे डालकर कई संस्थाओं के रिकॉर्ड भी जब्त किए। बॉबी के गुर्गे संदीप रमानी के न्यू रानीबाग स्थित घर पर भी प्रशासन ने छापा डाला और जो 11 संस्थाओं के रिकॉर्ड वहां से जब्त किए उसमें इस गौतम गृह निर्माण संस्था के भी रिकॉर्ड शामिल थे। अन्य संस्थाओं में सविता, कर्मचारी, देवी अहिल्या, क्लासिक, श्री गजनानंद, आदर्श, भूतपूर्व सैनिक, सर्वानंद और मजदूर पंचायत गृह निर्माण जैसी चर्चित संस्थाएं भी शामिल रही। अब नए सिरे से प्रशासन गौतम गृह निर्माण संस्था की जांच भी करवाने जा रहा है।

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