उज्जैन। रजिस्ट्रार कार्यालय के खजाने में 3 माह में पंजीयन एवं स्टाम्प शुल्क से लगभग 60 करोड़ रुपए आए हैं, वहीं पिछले वर्ष 8 माह मेंं 137 करोड़ आ गये थे। जून में अनलॉक के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय में भी कामकाज शुरू हो गया था। जून के महीने में ही 36 करोड़ से ज्यादा की रजिस्ट्रियां लोगों ने करा ली थी।
जिला पंजीयन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार रजिस्ट्रार कार्यालय में जून से लेकर जुलाई तक कुल 7 हजार 300 से अधिक रजिस्ट्री हुईं, जिससे स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क के एवज में रजिस्ट्रार कार्यालय के खजाने में कुल 43 करोड़ 89 लाख रुपए आए हैं, जबकि पिछले साल 1 जनवरी से अगस्त तक कुल 137 करोड़ का राजस्व मिल चुका था। इधर अगस्त और सितंबर महीने में भी करीब 7 हजार के लगभग रजिस्ट्रियां हुई है। जिसके द्वारा रजिस्ट्रार विभाग को 40 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिला है।
महामारी थमने से पंजीयन कार्यालय की कमाई बढ़ी
कोरोना महामारी थमने के बाद अब बड़ी संख्या में आम जनता के साथ ही बिल्डर, कॉलोनाइजर व अन्य रजिस्ट्री कराने आ रहे हैं, जिसका परिणाम है कि इस वर्ष 5 माह में ही रजिस्ट्रार कार्यालय का खजाना लबालब हो गया है। अभी इस वर्ष को बीतने में 6 माह और बाकी हैं। पंजीयन विभाग को उम्मीद है कम से कम 100 करोड़ रुपए और खजाने में आ सकते हैं। इस वर्ष की शुरुआत से ही पिछले साल के मुकाबले हर माह ज्यादा रजिस्ट्री हो रही है। जुलाई माह में कुल 14 करोड़ के लगभग रजिस्ट्री हुईं। जून के महीने में ही कुल 6 हजार 98 रजिस्ट्री हुई थीं, जिससे स्टाम्प और पंजीयन शुल्क के रूप में 36.72 करोड़ रुपए मिले थे।
लक्ष्य से 5 करोड़ ज्यादा मिला
कोरोना महामारी के बावजूद वित्तीय वर्ष में रजिस्ट्रार कार्यालय को 83 करोड़ रुपए से ज्यादा स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क के एवज में मिले हैं। कोरोना की पहली लहर में कई दिनों तक रजिस्ट्रार कार्यालय बंद रहा और डर के मारे लोग भी रजिस्ट्री कराने कम आ रहे थे, इसलिए अफसरों को चिंता सता रही थी कि किस तरह से टारगेट पूरा होगा। अधिकारियों ने हार नहीं मानी और सक्रियता से कार्य किया, जिसका परिणाम यह रहा कि शासन ने जो 200 करोड़ का लक्ष्य दिया था, जो जैसे तैसे करीब पहुंच पाया था।
रजिस्ट्रार कार्यालय में कोरोना गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य
वर्तमान में महामारी पर काबू पा लिया गया है, फिर भी अधिकारियों,कर्मचारियों के साथ ही रजिस्ट्री कराने आने वालों को भी मास्क लगाना अनिवार्य है। प्रवेश द्वार पर ही मास्क की चैकिंग की जा रही है। अगर रजिस्ट्री कराने वाला क्रेता-विक्रेता पक्ष गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो रजिस्ट्री रोकी भी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि गत 21 अप्रैल से बंद कार्यालय 22 दिनों बाद कलेक्टर के आदेश पर 8 जून से खोला गया।
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