इंदौर। शहर में पूर्वी क्षेत्र (Eastern Zone) में एक साल के अंदर दो ऐसे मामले समाने आए हैं, जिनमें गंभीर मामले की जांच से क्षेत्रीय सीएसपी (Area CSP) को हटाया गया है। ताजा मामला फर्जी जज के आदेश से आईएएस अवॉर्ड (IAS) पाने का है। इसकी जांच अब क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के डीएसपी (DSP) कर रहे हंै।
कुछ माह पहले पुलिस ने भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ा था। इसमें कई भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ शहर के अलग-अलग थानों में केस दर्ज किए गए हैं। इस दौरान खजराना थाने (Khajrana Police Station) में भी जमीन की धोखाधड़ी में कुछ कॉलोनाइजरों (Colonizers) और भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ केस दर्ज हुए थे। आरोपियों पर पुलिस ने दस से तीस हजार तक के इनाम भी रखे थे। इन मामलों में अभी भी कुछ आरोपी पुलिस (Police) की गिरफ्त से दूर हैं। तब इन मामलों की जांच तत्कालीन खजराना सीएसपी अनिलसिंह राठौर (Khajrana CSP Anil Rathore) कर रहे थे, लेकिन पुलिस (Police) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ दिन बाद में उनसे मामलों की जांच ले ली और एएसपी राजेश रघुवंशी (ASP Rajesh Raghuwanshi) के नेतृत्व में एसआईटी (SIT) बनाकर उसे दे दी। दो दिन पहले फिर एसपी आशुतोष बागरी (SP Ashutosh Bagri) ने एमजी रोड थाने (MG Police Station) में दर्ज जज के फर्जी आदेश से आईएएस अवॉर्ड (IAS Award) पाने के मामले की जांच क्षेत्रीय सीएसपी हरीश मोटवानी (Area CSP Harish Motvani) से ले ली है। इस मामले में भी एएसपी जयवीरसिंह भदौरिया के नेतृत्व में एसआईटी बनाई गई है और क्राइम ब्रांच के डीएसपी अनिलसिंह चौहान को जांच सौप दी गई है, जबकि इस मामले का आरोपी आईएएस संतोष वर्मा गिरफ्तार होने के बाद से जेल में है। आधी जांच के बाद एक बार फिर नए अधिकारी को जांच सांैपने से जांच पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारी दोनों मामलों में जांच से संतुष्ट नहीं थे, इसके चलते यह आदेश निकाला गया है। तत्कालीन खजराना सीएसपी ने तो जांच से हटाने की बात से दु:खी होकर अपना ट्रांसफर भी नारकोटिक्स में करवा लिया था, जबकि उनको रिटायर होने में कुछ माह ही बचे थे। हालांकि वे रिलीव नहीं हो पाए और खजराना सीएसपी से ही रिटायर हो गए। मोटवानी को भी कुछ समय ही बचा है।
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