उज्जैन। छत्रीचौक स्थित पुराना नगर निगम भवन तथा रिगल टॉकीज का हिस्सा नगर निगम का हो गया है तथा कई सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में फैसला दिया है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि 18 वर्ष पूर्व नगर निगम ने एक निजी फर्म को ठेका दिया था जिस पर पार्षद श्रीमती रेखा ओरा ने आपत्ति लगाई थी और ठेका निरस्त हो गया था जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई थी और तब से ही केस चल रहा था। आज यह संपत्ति 200 करोड़ रुपए की है और इसका आगे का हिस्सा छत्रीचौक में और पीछे का पटनी बाजार में है।
वर्ष 2004-2005 में पीपीपी मॉडल के तहत रीगल टॉकीज के पीछे स्थित 44 हजार वर्ग फीट के नगर निगम के पुराने भवन को तोड़कर फिर से यहां काम्प्लेक्स बनाने का ठेका कम रेट पर दिया गया था। इस पर पूर्व पार्षद रेखा ओरा ने आपत्ति ली थी और मुख्यमंत्री को शिकायत की थी जिस पर एक समिति बनाई गई और उसने जांच की तथा उक्त ठेका निरस्त कर दिया गया था। ठेका निरस्त की कार्रवाई को जबलपुर की ठेकेदार की कंपनी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। यह मामला पहले हाईकोर्ट में चला और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सुप्रीम कोर्ट में कल ठेकेदार कंपनी की याचिका खारिज हो चुकी है। इस मामले में निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह का कहना है कि कल शाम को सुप्रीम कोर्ट में नगर निगम के पुराने भवन के खारिज होने की खबर मिली है, पूरा फैसला आज हमारे पास आ जाएगा। इस फैसले का अध्ययन करने के बाद पुराने भवन की तोड़ाई का काम शुरू किया जाएगा। यहां पर प्राथमिक तौर पर जो योजना है उसमें बैसमेंट पार्किंग, होटल या मॉल बनाया जाएगा। इसके लिए सभी के सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद ही निर्माण का निर्णय होगा। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन अधिकारियों की थोड़ी सी गलती के कारण शहर के बीचोंबीच इस बेशकीमती जमीन का मामला 20 साल तक उलझ गया और अब जाकर लंबी कानूनी लड़ाई में नगर निगम को विजय मिली है। इस वजह से अधिकारी काफी उत्साहित है और याचिका खारिज होने से अब कोर्ट में बार-बार जाने का उनका टेंशन भी खत्म हो गया है। जल्द ही यहां तुड़ाई का काम लगाकर निर्माण किया जाएगा।
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