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    महिलाओं से चेन और कुंडल छीनने की घटनाओं में आई कमी, जानिए वजह?

  • November 17, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi)। अपने देश में महिलाओं को आभूषण पहनने (women wear jewelery) का और उसे दिखाने का बड़ा शौक होता है. उनके इसी शौक का नाजायज लाभ राहजन उठाते हैं और राह चलते उनके गले से चेन और कानों से कुंडल छीन (Snatch the chain and earrings from the ears) ले जाते हैं. यदि क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट की माने तो सबसे ज्यादा राहजनी की घटनाएं अप्रैल से जून महीने तक होती है. वहीं पूरे साल में सबसे कम राहजनी नवंबर, दिसंबर और जनवरी के महीने में होती है. इस तरह से राहजनी की घटनाओं को घटने और बढ़ने के पीछे भी सबसे बड़ा कारण महिलाओं की शौक में ही छिपा होता है.

    देश की राजधानी दिल्ली में ही नवंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच औसतन 21.6 राहजनी की घटनाएं प्रतिदिन हुई. इसी प्रकार साल 2022 के फरवरी और मार्च महीने में औसतन 24.9 वारदातें दर्ज हुई. वहीं अप्रैल से जून का आंकड़ा बढ़ कर 27.2 वारदात प्रतिदिन पर आ गया. फिर जुलाई 2022 से अक्टूबर 2022 तक राहजनी की घटनाओं में एक बार फिर कमी आई और 25.2 वारदात प्रतिदिन दर्ज किए गए. काफी हद तक इसी तरह के आंकड़े साल 2021 और साल 2020 के भी हैं. बीते तीन साल के आंकड़ों को देखें तो साफ जाहिर होता है कि गर्मी के दिनों में राहजनी की वारदातें बढ़ जाती हैं और सर्दियों में इस तरह की वारदातों में कमी आ जाती है।

    जानकारों के मुताबिक गर्मी के दिनों में महिलाएं आम तौर कम कपड़े पहनती हैं और जो भी जेवर पहनती हैं, भरसक उन्हें दिखाने की कोशिश करती हैं. इसका फायदा चोर उचक्के उठाते हैं और सरेराह राहजनी की वारदातों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं. इसी प्रकार सर्दी के दिनों में एक तो महिलाएं साल स्वेटर के साथ ही कपड़े भी ज्यादा पहनती हैं. इससे उनके जेवर या तो ढंके होते हैं या फिर उन्हें आसानी से खींचकर भागना मुश्किल होता है.

    सर्दियों में कम मिलता है अपराध का मौका
    पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि सर्दी के दिनों में चोर उचक्के शरीफ हो जाते हैं. सही तो यह है कि उन्हें वारदात के लिए मौका कम मिलता है. इसलिए नवंबर से जनवरी महीने में राहजनी की वारदातें अपेक्षाकृत कम होती हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक वैसे तो राहजनी की वारदात के लिए हल्की धारा लगती है और इसमें बदमाशों को जमानत भी जल्दी मिल जाती है. लेकिन यदि पीड़ित की बात करें तो उनके लिए यही छोटी सी वारदात किसी बड़े हादसे कम नहीं होती. दरअसल ज्यादातर अपराधी बाइक से आते हैं और झटके चेन या कुंडल आदि छीनते हैं. ऐसे हालात में कई बार महिलाओं का गला या कान आदि कटने का डर रहता है.
    इसी प्रकार, यदि किसी मामले में पीड़ित विरोध करने की कोशिश करता है तो बदमाश अपने बचाव में जानलेवा हमला तक कर बैठते हैं. ऐसे में झपटमारी की वारदात को लूट में बदलने में टाइम नहीं लगता. अब बात करते हैं कि कानून की और समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर राहजनी की वारदातों को संजीवनी कहां से मिल रही है. वरिष्ठ वकील अभिनव सिंघल के मुताबिक आम तौर पर राहजनी में चेन, फोन और पर्स आदि लूट की वारदातें होती हैं. इस तरह के मामलों में आईपीसी की धारा 379ए लगती है.

    स्नैचिंग की धारा में कम है सजा
    इसमें यदि बदमाश पकड़ा जाता है तो उसे आसानी से जमानत मिल जाती है. ऐसे में जेल से बाहर आकर ये बदमाश दोबारा से वारदात को अंजाम देने लगते हैं, हालांकि कई बार पुलिस ऐसे बदमाशों को लंबे समय तक जेल में रखने के लिए दूसरा तरीका अख्तियार करती है. इसमें इन बदमाशों के खिलाफ धारा 379ए लगाने के बजाय सीधे लूट की धारा 392 या 394 लगाकर कोर्ट में पेश करती है. इन धाराओं में 10 साल से अधिक की सजा होने की वजह से बदमाशों को तुरंत जमानत नहीं मिल पाती. हालांकि इस खेल को अंजाम देने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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