भोपाल। प्रदेश में अब सरकारी विभागों में भर्ती के लिए बार-बार परीक्षाएं आयोजित नहीं होंगी। राज्य सरकार ने एनआरए (राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी)द्वारा आयोजित परीक्षा में मेरिट लिस्ट के आधार पर ही मप्र के युवाओं को नौकरी देने का फैसला किया है। एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षाओं के आधार पर नौकरी देने वाला मप्र पहला राज्य बन गया है। इसके बाद अब राज्य में भर्ती परीक्षाएं आयोजित करने वाली एजेंसी पीईबी एवं अन्य पर भर्ती परीक्षाएं कराने का बोझ कम हो जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमने एक और अनूठा एवं क्रांतिकारी निर्णय लिया है, जिसमें प्रदेश की शासकीय नौकरियों के लिए युवाओं को अलग से कोई परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। एनआरए की मेरिट के आधार पर निर्धारित श्रेणियों में प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन की मंजूरी दी है। जिसके तहत एक परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों को कई पदों के लिये प्रतिस्पर्धा का मौका मिल सकेगा। चौहान ने कहा कि इस अनूठी व्यवस्था के तहत युवाओं को अलग-अलग आवेदन और अलग-अलग फीस भरने से मुक्ति मिलेगी। अभ्यर्थियों के समय की बचत के साथ भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। चौहान ने कहा कि एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी और प्रत्येक जिले में कम से कम एक परीक्षा केन्द्र अवश्य होगा। अब देश के युवाओं को एसएससी, आरआरबी, आईबीपीएस की अलग-अलग परीक्षाओं के स्थान पर केवल एक ही परीक्षा सीईटी (कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट-सामान्य योग्यता परीक्षा) देनी होगी। इससे देश के गांव और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं, बेटियों, दिव्यांगों को परीक्षा के लिए निरर्थक भागदौड़ और अनावश्यक व्यय से मुक्ति मिलेगी।
मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर की दिशा में ले जाने के लिये जो समेकित प्रयास किये जा रहे है, उसमें प्रदेश की शासकीय नौकरियां प्रदेश के युवाओं को ही देने का निर्णय लिया गया है। हमारी प्राथमिकता है कि मध्यप्रदेश के संसाधन मध्यप्रदेश के बच्चों के लिये ही हो।
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
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