नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization (WHO)) द्वारा भारत में पूर्ण रूप से विकसित कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ (Corona Vaccine ‘covaxin’) को मान्यता दिए जाने का देश के चिकित्सा वैज्ञानिकों, कोरोना योद्धाओं और राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के वैक्सीन को देर से लिए गए इस फैसले को भारत के चिकित्सा वैज्ञानिकों और औषधि उद्योग की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) ने डब्ल्यूएचओ (WHO) को कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मान्यता देने के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, “यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है, यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है, यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है, यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है।”
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने स्वदेशी वैक्सीन को विकसित किया है। इस वर्ष के प्रारंभ से ही भारत में इसके जरिए टीकाकरण हो रहा है। डब्ल्यूएचओ में इस मान्यता दिए जाने का फैसला काफी समय से लंबित रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल की विदेश यात्रा के दौरान विश्व नेताओं से टीकाकरण गति तेज करने के लिए भारतीय वैक्सीन और उसके टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता दिए जाने पर जोर दिया था। वह डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस से भी मिले थे तथा कोवैक्सीन को मान्यता दिए जाने के बारे में चर्चा की थी।
कोवैक्सीन को मंजूरी पर भारत बायोटेक का कहना है कि यह हमारे यहां काम करने वाले सभी लोगों और हमारे सहयोगियों के प्रयासों को मान्यता है। यह दुनिया में अर्थपूर्ण प्रभाव डालने का एक अवसर प्रदान करता है। यह सार्वजनिक निजी भागीदारी से विश्वस्तरीय वैक्सीन निर्माण का सफल उदाहरण है। हम दुनिया के अन्य देशों को बीमारी में निपटने में सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डब्ल्यूएचओ के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कई भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा की सुविधा प्रदान करता है और वैक्सीन इक्विटी में योगदान देता है। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को वैश्विक मान्यता भी देता है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने कोवैक्सीन को मान्यता देने के लिए अप्रैल में आवेदन दिया था। इसे छह महीने बाद मंजूरी दी गई है। वहीं इसकी तुलना में फाइजर और मोडर्ना को दो महीने से भी कम समय में मान्यता दी गई थी। यह डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त आठवीं वैक्सीन है। यह भारत निर्मित दूसरी वैक्सीन है जिसे मान्यता मिली है। इससे पहले एक्ट्राजेनेका द्वारा विकसित एवं सिरम इंस्टीट्यूट में निर्मित कोविशील्ड को भी मान्यता मिल चुकी है। (एजेंसी, हि.स.)
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