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    MP के दमोह में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाने वाले स्कूल की मान्यता निलंबित

  • June 02, 2023

    दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह (Damoh of Madhya Pradesh) में हिंदू छात्राओं को हिजाब जैसा स्कार्फ पहनाने के मामले में लोक शिक्षण संचालनालय ने गंगा जमुना स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को लेकर सख्त आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया कि स्कूल संचालक हाजी इदरीस ने मीडिया को प्रभावित कर जनभावनाएं भड़काकर सहानुभूति हासिल करने के लिए खेद जताया। वह स्कार्फ नहीं सिर्फ हिजाब था।

    शुक्रवार सुबह गंगा जमुना स्कूल के संचालक मोहम्मद इदरीस ने पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि संस्था के बच्चों का हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहा है। बच्चों को बधाई देने के लिए एक फ्लेक्स लगाया गया था। इस पर कुछ संगठनों ने आपत्ति दर्ज की है। स्कूल यूनीफार्म से यदि किसी भावनाएं आहत हुई है तो इसका उन्हें खेद है। अब स्कूल में जन गण मन ही गाया जाएगा। संस्था की छात्राओं के लिए स्कूल यूनीफार्म में स्कार्फ स्वैच्छिक रखा गया था। आपत्ति आने पर वह स्कार्फ भी हटाया जाता है। छात्राएं इसके स्थान पर दुपट्टा पहन सकती हैं। जांच समिति के साथ सहयोग करेंगे। जो भी निर्देश देगी, पालन करेंगे। एसपी ऑफिस में बैठक के लिए पहुंचे कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश मिलने के बाद जांच समिति बनाई गई है। वह समिति जांच कर रही है। स्कूल प्रबंधन ने शुक्रवार सुबह जानकारी दी है कि उन्होंने स्कार्फ हटा दिया है। गीत की जगह जन गण मन ही गाया जाएगा। स्कूल 2012 से संचालित है। तभी से स्कार्फ लागू है।

    शाम को छतरपुर गौरव दिवस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे पता चला कि दमोह के एक स्कूल में बेटियों को सिर पर कुछ बांधकर ही आओ, ये नियम बना दिया था। उस व्यक्ति के नाम से जिसने भारत का विभाजन करवाया, उसकी कविता पढ़ाई जा रही थी। मैं सावधान करना चाहता हूं, मध्य प्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो नई शिक्षा नीति लागू की है, वहीं लागू होगी। उसके खिलाफ अगर कोई दूसरी चीज स्कूल में पढ़ाएगा या किसी बेटी को सिर पर स्कार्फ या कोई दूसरी चीज बांधकर आओ, इसके लिए मजबूर करेगा तो वैसा स्कूल मध्यप्रदेश में चल नहीं पाएगा। यह मध्यप्रदेश में नहीं चलने देंगे। शिक्षा नीति के हिसाब से यहां शिक्षा देने का काम होगा।


    इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दो ट्वीट किए। इसमें स्कूल प्रबंधन की ओर से जारी पत्र को झूठ बताया। उन्होंने लिखा- स्कार्फ नहीं था हिजाब था। झूठ मत फैलाओ हाजी इदरीस! जांच चल रही है। आज (शुक्रवार को) राज्य बाल आयोग की टीम दमोह पहुंचेगी। जो कहना है, उससे कहना। मीडिया को प्रभावित कर जनभावनाएं भड़काकर सहानुभूति हासिल करने का ड्रामा चलने वाला नहीं है। चार्ल्स डारविन के मानव विकास क्रम के वैज्ञानिक सिद्धांत के विपरीत इस स्कूल में मानव उत्पत्ति का रूढ़िवादी इस्लामिक सिद्धांत सिखाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों ने इस स्कूल को मान्यता देते समय इन गम्भीर मुद्दों को नज़रंदाज़ किया उन पर कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर दमोह कलेक्टर जांच कर रहे हैं। हाजी इदरीस बिल्डिंग की पुताई कर साक्ष्य मिटा रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से नोटिस जारी किया जा रहा है।

    गंगा जमना स्कूल ने हाईस्कूल परीक्षा परिणाम को लेकर फ्लेक्स लगाया था। इसमें सफल छात्र-छात्राओं की तस्वीरें थी। छात्राओं ने स्कार्फ लगाया था, लेकिन क्लोजअप में वह हिजाब जैसा लग रहा है। इस पर कुछ परिजनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। हिंदू संगठन भी सक्रिय हुए और आरोप लगाया कि हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाया गया। प्रदर्शन कर कलेक्टर को कार्रवाई के लिए ज्ञापन भी सौंपा था। इससे पहले कलेक्टर ने जांच कराई तो पता चला कि वह स्कार्फ है, जिसे पहनना छात्राओं के लिए स्वैच्छिक है। स्कूल प्रबंधन का भी कहना है कि उसने कभी भी स्कार्फ को अनिवार्य नहीं किया है। यह मामला बढ़ा तो गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने दोबारा जांच कर कार्रवाई करने को कहा है।

    राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह और मेघा पवार शुक्रवरा शाम को स्कूल पहुंचे। बच्चों को स्कार्फ पहनाने का कारण पूछा। इस पर स्कूल प्रिंसिपल अफसा शेख ने कहा कि अभी तक किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। यह सुनते ही आयोग के सदस्य नाराज हो गए। कहा कि किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो क्या बुर्का पहना देंगे? स्कूल संचालक इदरीस खान ने कहा कि यह स्कूल का ड्रेस कोड है। जब कहा गया कि हिंदू धर्म में बच्चियों का सिर ढंकने की परंपरा नहीं है। इस आयोग के सदस्यों ने अभिभावकों से बात की, जिन्होंने आरोप लगाए थे। टीम के साथ दमोह तहसीलदार मोहित जैन और जिला शिक्षा अधिकारी एसके मिश्रा मोजूद रहे। टीम के सदस्यों ने स्कूल की किताबों की जानकारी भी ली।

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