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इन 4 कुकिंग ऑयल को खाने से हो सकता है कैंसर, क्या आप भी तो नहीं पकाते इससे खाना ?

April 25, 2022

नई दिल्‍ली । कैंसर (Cancer) एक घातक और जानलेवा बीमारी है। माना जाता है कि अगर कैंसर के लक्षणों का शुरुआत में ही पता चल जाए, तो सही इलाज हो सकता है। अगर इसे पहचानने में देरी हो गई, तो यह शरीर (Body) को धीरे-धीरे कमजोर करके मौत का कारण बन जाता है। दुर्भाग्य से कैंसर के कई कारण हैं, जिनमें आपके खाने में इस्तेमाल हो रहा कुकिंग ऑयल (cooking oil) भी है।

बेशक खाना बनाने के लिए तेल जरूरी है लेकिन आजकल लोग भारी मात्रा में तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं। आजकल फ्राइड और डीप फ्राई फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा माना जाता है कि तेल शरीर में पीएच संतुलन को बिगाड़ देता है और लीवर, पाचन अल्सर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।


कुछ शोध बताते हैं कि मक्खन और चरबी जैसे सैचुरेटेड फैट के मुकाबले रोजाना इस्तेमाल होने वाले कुछ वेजिटेबल ऑयल सेहत के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। हम आपको कुछ रोजाना खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न तरह के तेल के बारे में बता रहे हैं, जो एक नहीं बल्कि कई तरह के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

कौन-कौन से तेल से है कैंसर का ज्यादा जोखिम
ऐसा माना जाता है कि गर्म होने पर कॉर्न, सनफ्लावर, पाल्म और सोयाबीन के तेल एल्डिहाइड नामक रसायन छोड़ते हैं। यह ऐसे खतरनाक तत्व हैं, जो विभिन्न कैंसर से जुड़े हुए हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जहरीले यौगिक रेटिनाल्डिहाइड के ऑक्सीकरण को बढ़ावा दे सकते हैं, इसे रेटिनोइक एसिड में बदल सकते हैं। यह बदले में कैंसर कोशिकाओं को जन्म दे सकता है।

तेल से क्यों है कैंसर का जोखिम
दरअसल तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। तेल को गर्म करने पर यह एल्डिहाइड में टूट जाता है। यही वजह है कि तेल को गर्म करने पर उसमें एक गंध आती है। वैसे भी गर्म तेल खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

वेजिटेबल ऑयल में कैंसर वाले तत्व
डीमोनफोर्ट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि वनस्पति तेलों में तले हुए भोजन में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) द्वारा अनुशंसित दैनिक मात्रा की तुलना में 200 गुना अधिक एल्डिहाइड होता है।

ओलिव ऑयल से कैंसर का कम खतरा
दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में पाया गया कि ओलिव ऑयल यानी जैतून के तेल, चरबी और मक्खन में एल्डीहाइड की मात्रा बहुत कम होती है जिस वजह से इनसे कैंसर का जोखिम भी कम होता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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