विजयवर्गीय के पारिवारिक विवाह समारोह में दुनिया के शक्तिशाली नेता देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के कर्णधार मोदीजी की मौजूदगी से कहीं विजयवर्गीय के कद की तुलना की जा रही है… तो कहीं इसे शक्ति का प्रदर्शन माना जा रहा है, लेकिन इस मुकाम के लिए विजयवर्गीय की तपस्या… सत्ता के त्याग…पार्टी के लिए समर्पण और स्वयं की आहुति को नहीं देखा जा रहा है…भाजपा एक ऐसा संगठन है, जहां हर नेता को एक कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है…यह परीक्षा होती है संस्कार की…विचार की… समर्पण और त्याग की… इस परीक्षा से मोदीजी भी गुजरे….कांधे पर झोला लटकाए ग्रामीण अंचलों की खाक छानना, जो मिले खाकर संतुष्ट हो जाना… परिवार और पत्नी तक को भूल जाना… जनता के दर्द को पहचान पाना… उनकी जरूरतों में शामिल होकर उनमें विश्वास जगाना… और फकीरों की तरह बिना कुछ पाने की चाहत लिए जिंदगी बितानेे जैसी मशक्कतों से गुजरे मोदीजी ने जब देश की सत्ता का शाष्टांग किया तो उनके अनुभवों ने उनको शिखर पर पहुंचाया… जनता से जुड़ाव ने उन्हें महान बनाया…और ऐसे ही नजरिए को जिन लोगों ने अपनाया, वो उनकी चाहत के हिस्से में आए… चाहे वो देश के गृहमंत्री अमित शाह हो या उनकी सत्ता छोडक़र संगठन में आए विजयवर्गीय… विजयवर्गीय को संगठन अध्यक्ष रहते अमित शाह ने जहां-जहां आजमाया वहां-वहां समर्पण पाया…जहां भिजवाया, वहां दौड़ते हुए पहुंचते पाया…जिन-जिन जिम्मेदारियों को दिया उन्हें मुकाम पर पहुंचाया… फिर वो हरियाणा हो या पश्चिम बंगाल का चुनाव कहीं जीत मिली तो कहीं सीटें बढ़ीं…विजयवर्गीय के साथ संगठन की ताकत के साथ सत्ता का जनाधार भी है… आम लोगों में लोकप्रियता के साथ दिग्गजों से मित्रता भी है… जो लोग यह सोचते थे कि विजयवर्गीय ने प्रदेश की सत्ता का त्याग कर अपना वजूद मिटा लिया, वो लोग अब उनकी दूरदर्शिता पर आश्चर्य करते हैं… सत्ता के चलते वो प्रदेश तक सीमित थे, लेकिन उनकी कार्यक्षमता ने उन्हें देश तक पहुंचा दिया और इसीलिए मोदीजी ने अपने कर्मठ नेता को मान दिया… मोदीजी की विजयवर्गीय से निकटता इस बात का संदेश भी है कि भाजपा सत्ता नहीं संगठन से मजबूत है और जो समर्पण, साहस, संयम और त्याग की भावना रखते हैं वो शीर्ष से निकटता रखते हैं…
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