नई दिल्ली(New Delhi) । सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई (Supreme Court Justice Gavai)जल्द ही इतिहास (History)रचने जा रहे हैं। साल 2025 में वह भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice)यानी CJI बनेंगे। अब खास बात है कि दलित समुदाय (dalit community)से आने वाले वह दूसरे व्यक्ति होंगे, जो इस पद पर बैठेंगे। वह अपने जज बनने का श्रेय भारत रत्न डॉक्टर भीम राव आंबेडकर को देते हैं। उनका कहना है कि आंबेडकर की वजह से ही वह यहां तक पहुंच सके हैं।
भारतीय संविधान का श्रेय डॉक्टर बीआर आंबेडकर को जाता है
सोमवार को आंबेडकर मेमोरियल लेक्चर के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, ‘भारतीय संविधान का श्रेय डॉक्टर बीआर आंबेडकर को जाता है। सिर्फ डॉक्टर बीआर आंबेडकर की वजह से मेरे जैसा व्यक्ति इस पद तक पहुंच सका, जिसने अर्ध झुग्गी बस्ती के क्षेत्र में म्यूनिसिपल स्कूल में पढ़ाई है।’ कार्यक्रम में उनके साथ जस्टिस एएस ओक भी मौजूद थे।
जस्टिस ओक ने खासतौर से आर्टिकल 32 का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 32 की सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट भेजे बगैर सुनना चाहिए, लेकिन हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रहते हैं और अगर मामले लंबित नहीं होते तो तस्वीर कुछ और होती। सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार मामले पेंडिंग हैं।’
हम सिर्फ संवैधानिक अदालत नहीं, बल्कि अपील कोर्ट भी
उन्होंने कहा, ‘हम सिर्फ संवैधानिक अदालत नहीं, बल्कि अपील कोर्ट भी हैं। जब हमारे पास काम बढ़ रहा है, तो हमें प्राथमिकताएं तय करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे कैदी हैं, जिन्हें स्थाई छूट से इनकार कर दिया गया है। ऐसे आरोपियों की तरफ से अपीले हैं, जिन्हें लंबे समय से अंदर रखा गया है। लेकिन कारोबारी भी हैं, जो वकीलों की बड़ी टीम लेकर आते हैं और कोर्ट का समय लेते हैं और तर्क देते हैं कि 19(1)(g) का उल्लंघन हुआ है। तब हम आम अपराधी और कारोबारी में समानता कैसे ला पाएंगे।’
अनुच्छेद 32 के तहत अगर संविधान में दिए गए अधिकारी से किसी को वंचित रखा जाता है, तो वह नागरिक सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।
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