उज्जैन। आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में जो हो सो कम की तर्ज पर नया मामला सामने आया है। वहां कोविड का उपचार करवाने वाले कतिपय मरीजों के परिजनों का कहना है कि सब लोग मेडिकल कॉलेज की बुराई करते हैं, लेकिन वहां बहुत अच्छे लोग हैं। कोविड पॉजिटिव हो या निगेटिव्ह मरीज की मृत्यु के बाद यह है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन होता है और शव का दाह संस्कार बिजलीवाली मशीन में होता है। मान्यता है कि लकड़ी-कण्डे से ही दाह संस्कार होना चाहिए। ऐसे में हम कहते हैं तो वहां पर्ची पर लिखकर दे देते हैं कि लकड़ी कण्डे से दाह संस्कार कर देना।
इसप्रकार की कतिपय पर्चियां प्राप्त होने पर जब पड़ताल की तो आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से डॉ.सुधाकर वैद्य का कहना था कि मृतक के परिजन अपने हाथों से लिख लेते हैं और हमे बदनाम कर रहे हैं। वहीं परिजन ने दावा किया कि स्वयं डॉक्टर ने यह लिखकर दिया। हमने रिक्वेस्ट की थी। इस संबंध में डॉ. वैद्य ने पर्ची पर हस्ताक्षर करनेवाले डॉ.राठौर से चर्चा करवाई। डॉ.राठौर का कहना था कि उन्होने शव सौपने के बाद काउंटर स्लिप पर शव सौपने के हस्ताक्षर किए थे। साइड में लकड़ी-कण्डे से दाह संस्कार मैने नहीं लिखा। इस मामले में भी परिजन का दावा रहा कि हमने रिक्वेस्ट की थी तो लिखकर दिया गया। हमारा काम हो गया,हमे कोई शिकायत नहीं है।
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