नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की तीन दिन की बैठक सोमवार (7 अक्टूबर) से शुरू होगी. बैठक के बाद कमिटी के अध्यक्ष और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास बुधवार (9 अक्टूबर) को रेपो रेट पर फैसले की जानकारी देंगे. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या गठबंधन सरकार बनने से पहले घर के होम लोन की EMI कम होगी या नहीं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आरबीआई की एमपूीसी बैठक में प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती की संभावना नहीं है. यानी आपके लोन की ईएमआई न बढ़ेगी और न ही घटने वाली है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है और पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा.
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने आरबीआई की दर-निर्धारण कमिटी एमपीसी का पुनर्गठन किया. इसमें 3 नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित कमिटी सोमवार को अपनी पहली बैठक शुरू करेगी. भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है. विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित खुदरा महंगाई 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर या नीचे) पर बनी रहे. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आरबीआई संभवतः अमेरिकी फेडरल रिजर्व को फॉलो नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दरों में 0.5 फीसदी की कमी की है. आरबीआई कुछ अन्य विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों को भी फॉलो नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दरों में कमी की है.
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, “हमें रेपो रेप या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है. इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में महंगाई 5 फीसदी से ऊपर रहेगी. इसके अलावा मुख्य महंगाई धीरे-धीरे बढ़ रही है.” सबनवीस ने कहा कि इसके अलावा, हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष और भी गहरा सकता है, और यहां अनिश्चितता है. इसलिए नए सदस्यों के लिए भी यथास्थिति सबसे संभावित विकल्प है. महंगाई के पूर्वानुमान को 0.1-0.2 फीसदी तक कम किया जा सकता है और जीडीपी अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है.
इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई के कम रहने के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि अक्टूबर, 2024 की नीतिगत समीक्षा में रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ करना उचित हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसके बाद रेपो दर में दिसंबर, 2024 और फरवरी, 2025 में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है. सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लि. के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री और डेवलपर समुदाय के साथ घर खरीदार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक संभवत: लगातार दसवीं बार ब्याज दरों को यथावत रखेगा.
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