नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) इस साल के अंत तक अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) (Central Bank Digital Currency (CBDC)) का ट्रायल शुरू कर सकता है। माना जा रहा है की वर्चुअल करेंसी मार्केट में मौजूद जोखिम को देखते हुए आरबीआई किसी भी तरह की हड़बड़ी नहीं करना चाहता है। अपनी डिजिटल करेंसी की सुरक्षा और संचालन से जुड़ी हर बात का बारीकी के साथ परीक्षण करने और उसके नतीजों से संतुष्ट होने के बाद ही रिजर्व बैंक चरणबद्ध तरीके से अपनी वर्चुअल करेंसी को बाजार में लांच करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि फिलहाल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को चरणबद्ध तरीके से लॉन्च करने की दिशा में काम किया जा रहा है। आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में अपनी अपनी सीबीडीसी को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। कुछ देशों में में इस डिजिटल करेंसी का ट्रायल भी शुरू हो चुका है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) मूल रूप से किसी भी देश के कागज के नोट (करंसी नोट) का ही डिजिटल वर्जन होता है, जिसे उस देश का केंद्रीय या नियामक बैंक (जैसे भारत में भारतीय रिजर्व बैंक) जारी करता है।
बताया जा रहा है कि वर्चुअल/डिजिटल करेंसी मार्केट में जोरदार उतार-चढ़ाव के जोखिम को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने के पहले हर व्यवस्था को ठोक बजाकर चेक कर लेना चाहता है, ताकि इस डिजिटल करेंसी के जारी होने के बाद उपभोक्ताओं को किसी जालसाजी या ठगी का शिकार ना होना पड़े। फिलहाल, भारतीय रिजर्व बैंक ओर से नियुक्त विशेषज्ञ डिजिटल करेंसी से जुड़े हर पहलुओं का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। इसके साथ ही अर्थशास्त्रियों की एक टीम को इस डिजिटल करेंसी की वजह से मौद्रिक नीति (मॉनेटरी पॉलिसी) और मौजूदा व्यवस्था के तहत उपलब्ध करेंसी नोट के लेनदेन पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक की साइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक दुनियाभर में 86 फीसदी देशों के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की क्षमता का आकलन करवा रहे हैं। इनमें से 60 फीसदी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से जुड़ी प्रौद्योगिकी के परीक्षण का काम शुरू कर चुके हैं, वहीं दुनिया के 14 फीसदी देशों के सेंट्रल बैंक में डिजिटल करेंसी को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है। (एजेंसी, हि.स.)
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