नई दिल्ली: देश में पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट लगातार बढ़ा है, खासकर यूपीआई से भुगतान में तेजी आई है. यूजर्स एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने के लिए आरबीआई लगातार डिजिटल पेमेंट सिस्टम में नई-नई सुविधाएं लेकर आ रहा है. इसी कड़ी में आरबीआई ने 7 अगस्त को अपनी पॉलिसी में यूपीआई पेमेंट के जरिये दो नई सुविधाएं देने का ऐलान किया. इनमें यूपीआई से टैक्स पेमेंट की सीमा बढ़ाने और डेलीगेटेड भुगतान सर्विस की फैसिलिटी शामिल है.
डेलीगेटेड पेमेंटे सर्विस से मतलब है कि यूपीआई यूजर अपने अकाउंट से पेमेंट करने का अधिकारी किसी अन्य व्यक्ति को दे सकेगा. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है. वर्तमान में यूपीआई के लिए कर भुगतान की सीमा एक लाख रुपये है.
यूपीआई पेमेंट को लेकर डेलिगेटेड पेमेंट सर्विस में इसमें एक व्यक्ति (प्राइमरी यूजर) किसी अन्य व्यक्ति (सेकेंडरी यूजर) को अपने बैंक खाते से UPI लेनदेन करने की अनुमति दे सकेगा. हालांकि, ऐसे ट्रांजेक्शन की लिमिट प्राइमरी यूजर के द्वारा निर्धारित की जाएगी. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “इससे देशभर में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है. इस संबंध में भी विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगें.”
थर्ड पार्टी पेमेंट एप्लीकेशन कीवी के को-फाउंडर ने डेलिगेटेड पेमेंट सर्विस को लेकर कहा, “इस कदम के जरिए आरबीआई प्राइमरी अकाउंट होल्डर (माता-पिता) को वह सुविधा देने जा रहे हैं जिससे नाबालिग भी उनके अकाउंट के जरिए यूपीआई पेमेंट कर सकें. बस इसके लिए माता-पिता को इस लेनदेन को मंजूरी देनी होगी. इस सुविधा के साथ ही यूपीआई एप्लीकेशन के अंदर एक नया सिस्टम आ जाएगा.”
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स पेमेंट सामान्य, नियमित तथा उच्च मूल्य के हैं इसलिए यूपीआई के जरिये कर भुगतान की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख प्रति लेनदेन करने का निर्णय लिया गया है. इस बारे में आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे.’’
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