नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन नवंबर को एक अतिरिक्त व बिना पूर्व निर्धारित मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक बुलाई है। रिजर्व बैंक की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि यह मीटिंग रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के तहत सेक्शन 45जेडएन के प्रावधानों के तहत बुलाई गई है। जानकारों के मुताबिक आमतौर पर आरबीआई ऐसा कदम महंगाई दर को निर्धारित सीमा में रखने में विफल रहने पर उठाता है।
सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 7.41% पर पहुंची
भारत में खुदरा महंगाई दर सितंबर महीने में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है। बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए इसे दो फीसदी से छह फीसदी के बीच रखना जरूरी है पर लगातार तीसरी तिमाही में महंगाई की दर छह फीसदी से अधिक रही। नियमों के तहत अब आरबीआई के सरकार को यह बताना जरूरी हो गया है कि बढ़ती महंगाई को क्यों नियंत्रित नहीं किया जा सका है?
आरबीआई के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर दो से छह प्रतिशत के बीच रखना जरूरी
लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के तहत यदि सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) आधारित मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों के लिए तय 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से बाहर रहे तो आरबीआई को मूल्य वृद्धि के प्रबंधन में विफल माना जाता है।
अगस्त महीने में सात प्रतिशत थी महंगाई दर
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से महीने की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गई, यह पिछले महीने सात प्रतिशत पर थी। बता दें कि नवंबर में बुलाई गई आउट ऑफ टर्न बैठक के बाद आरबीआई के एमपीसी की अगली बैठक दिसंबर महीने के पांच से सात तारीख के बीच पूर्व निर्धारित है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved