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RBI ने कहा- लगातार चौथे साल 7% से अधिक रहेगी विकास दर, महंगाई पर काबू पाने में अभी कई चुनौतियां

February 16, 2024

नई दिल्ली। भारत कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। हालांकि, महंगाई को काबू करने के मोर्चे पर अभी कई चुनौतियां हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि विवेकपूर्ण मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों ने मुश्किल परिस्थितियों से निपटने में भारत की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया है। 2024-25 में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान है। यह लगातार चौथा साल होगा, जब विकास दर 7 फीसदी या उससे अधिक रहेगी। इसके साथ ही, खाद्य कीमतों की ओर से बार-बार झटके लगने और देशों के बीच नए तनाव पैदा होने से महंगाई से निपटने में बाधा आ रही है।

वैश्विक जीडीपी में मुश्किलों के साथ अवसर भी
दास ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था एक चौराहे पर खड़ी है। चुनौतियां भी तमाम हैं। लेकिन, नए अवसर भी दस्तक दे रहे हैं। हम यहां से जो रास्ता अपनाएंगे, वही हमारा भाग्य तय करेगा। हमें ऐसी नीतियां चाहिए, जो वैश्विक जीडीपी की नई वास्तविकताओं के अनुरूप हों। अनिश्चित दुनिया में केंद्रीय बैंकों को अपने उद्देश्यों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए सक्रिय होने की जरूरत है।


सफर के सबसे मुश्किल दौर में
गवर्नर ने बृहस्पतिवार को 59वें दक्षिण-पूर्व एशियाई केंद्रीय बैंकों (सीसेन) के गवर्नर्स सम्मेलन में कहा, हम अवस्फीति (महंगाई में गिरावट) के अंतिम चरण से निपटने के लिए सतर्क हैं क्योंकि यह सफर का सबसे मुश्किल दौर होता है। हमें भरोसा है कि स्थिर व निम्न महंगाई स्थायी आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी आधार देगी। महंगाई 2022 की गर्मियों के उच्चतम स्तर से अब नीचे आ चुकी है। खुदरा महंगाई जनवरी, 2024 में 5.1 फीसदी रही है।

यूपीआई में अंतरराष्ट्रीय मॉडल बनने की क्षमता
दास ने कहा, इंडिया स्टैक और यूपीआई में हमारी भागीदारी ने हमें विश्वास दिलाया है कि राष्ट्रीय सीमाओं से परे बढ़ने पर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा वैश्विक भलाई का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है। भारतीय यूपीआई और कुछ अन्य देशों की तेज भुगतान प्रणालियों का जुड़ाव यूपीआई को सीमा पार लेनदेन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मॉडल बनने की क्षमता देता है।

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