नई दिल्ली (New Delhi)। बैंकिंग क्षेत्र (banking sector) में धोखाधड़ी (fraud) के मामले 2022-23 में बढ़कर 13,530 हो गए। भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India -RBI) ने मंगलवार को इस बारे में आंकड़े जारी किए। धोखाधड़ी के इन मामलों में शामिल कुल राशि 30,252 करोड़ रुपये थी, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब आधी है। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 (RBI Annual Report 2022-23) में कहा गया कि मात्रा के लिहाज से धोखाधड़ी मुख्य रूप से डिजिटल पेमेंट (digital payment) (कार्ड/इंटरनेट) की श्रेणी में हुई। यदि मूल्य के लिहाज से बात करें तो मुख्य रूप से ऋण पोर्टफोलियो में सबसे अधिक धोखाधड़ी की सूचना मिली।
वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में कुल 9,097 धोखाधड़ी के मामले प्रकाश में आए, जिसमें 59,819 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी। इससे पहले 2020-21 में धोखाधड़ी के 7,338 मामलों में शामिल कुल राशि 1,32,389 करोड़ रुपये थी।
निजी क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी की अधिक सूचना
रिपोर्ट में कहा गया है, पिछले तीन वर्षों में बैंकों के धोखाधड़ी के मामलों के अध्ययन से पता चलता है कि संख्या के लिहाज से निजी क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी की अधिक सूचना दी, जबकि मूल्य के लिहाज से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अधिक धोखाधड़ी के मामले दर्ज कराए। इन आंकड़ों में तीन वर्षों के दौरान दर्ज किए गए एक लाख रुपये और उससे अधिक की धोखाधड़ी से जुड़े मामले शामिल हैं।
हर परिस्थिति में काम करने वाली पेमेंट प्रणाली लाने की तैयारी
आरबीआई किसी भी परिस्थिति में काम करने वाली पेमेंट प्रणाली तैयार कर रहा है। प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध जैसी विनाशकारी घटनाओं के दौरान महत्वपूर्ण लेनदेन के लिए यह प्रणाली उपयोगी होगी। केंद्रीय बैंक के अनुसार प्रस्तावित ‘लाइट वेट एंड पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम’ (एलपीएसएस) पारंपरिक प्रौद्योगिकियों से अलग होगा और इसे बहुत कम कर्मचारी कहीं से भी संचालित कर सकेंगे।
डिजिटल मुद्रा पायलट परियोजना का विस्तार होगा
आरबीआई ने कहा कि वह खुदरा और थोक स्तर पर चल रही केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की पायलट परियोजनाओं का विस्तार करेगा। आरबीआई ने 2022-23 के दौरान पायलट आधार पर ई-रुपया भी पेश किया था। रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2023 तक चलन में शामिल ई-रुपया (थोक) और ई-रुपया (खुदरा) का मूल्य क्रमश: 10.69 करोड़ रुपये और 5.70 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2022-23 में नोटों की मांग और आपूर्ति सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत अधिक थी।
वृद्धि गति बरकरार रहने की संभावना
मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और जिंस कीमतों में नरमी के चलते भारत की वृद्धि गति 2023-24 में बरकरार रहने की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति में कमी की उम्मीद भी है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि धीमी वैश्विक वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव की ताजा घटनाओं के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता होती है, तो इससे वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विवेकाधीन खर्च में लगातार सुधार, उपभोक्ता विश्वास की बहाली, कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद अच्छी त्योहारी मांग और पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर से वृद्धि को समर्थन मिला।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved