नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति (bi-monthly policy) के फैसलों की घोषणा कर दी है। RBI ने रेपो रेट (repo rate) में कोई परिवर्तन नहीं किया है, इसे 4 फीसद पर ही बरकरार रखा है। इसके अलावा RBI ने रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) को भी 3.35 फीसद पर बरकरार रखने का फैसला लिया है। RBI की बजट के बाद यह दूसरी और इस वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति है। RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 अप्रैल को शुरू हुई थी। देश में बढ़ती महंगाई के बीच सभी को RBI से बड़ी उम्मीदें थीं। बता दें कि इससे पहले RBI ने लगातार दस बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अभी रेपो रेट 4 फीसद और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसद पर है। RBI ने आखिरी बार 22 मई 2020 को प्रमुख ब्याज दरों में बदलाव किया था। इसके बाद से ब्याज दर 4 फीसद के एतिहासिक स्तर पर बनी हुई है।
आने वाले समय में और सताएगी महंगाई
आरबीआई ने महंगाई का अनुमान बढ़ा दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक पॉलिसी नीति की घोषणा करते हुए 5.7 फीसद महंगाई दर का अनुमान लगाया है। जिसेसे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में महंगाई और परेशान कर सकती है।
जानिए आखिर क्या होती है रेपो, रिवर्स रेपो रेट
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों के सरप्लस मनी को अपने पास जमा करता है। इसके बदले में आरबीआई (RBI) इन बैंकों को ब्याज प्रदान करता है। इसे ही रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। इस समय रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसद है। वहीं, रेपो दर वह दर होती है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंको को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है।
मौद्रिक नीति को लेकर क्या थी इंडस्ट्री की क्या
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रदीप मुलतानी ने बुधवार को कहा था कि अर्थव्यवस्था अभी रिकवरी की प्रोसेस में है। ऐसे में आर्थिक बुनियाद को मजबूत करने के लिये उदार रुख बनाये रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते हालांकि मुद्रास्फीति बढ़ी है, लेकिन प्रमुख ब्याज दरों को बरकरार रखने से अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से पार पाने में मदद मिलेगी।’
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