नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 6 अप्रैल को अपनी प्राथमिक ब्याज दर (prime interest rate) में 25 आधार अंकों की वृद्धि करेगा. SBI रिसर्च ने अपनी लेटेस्ट Ecowrap रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा 6.5 प्रतिशत रेपो दर अभी के लिए अंतिम दर हो सकती है. रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई (Reserve Bank of India) सभी वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है.
मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा आयोजित फरवरी की बैठक में, आरबीआई ने मुद्रास्फीति (Inflation) की उम्मीदों को स्थिर रखने, मुख्य मुद्रास्फीति की दृढ़ता को तोड़ने और मध्यम अवधि के विकास की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने का फैसला किया.
ब्याज दरें बढ़ाना एक मौद्रिक नीति साधन है जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को दबाने में मदद करता है, जिससे मुद्रास्फीति की दर (Inflation Rate) में गिरावट आती है. 2020 की शुरुआत में जब कोविड ने दुनिया को प्रभावित किया, तब रेपो रेट 4 फीसदी था. उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई अभी रेपो रेट बढ़ा सकता है और फिर इसे शेष वर्ष के लिए स्थिर रख सकता है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, “(RBI) का रुख आवास की निकासी जारी रख सकता है, भले ही तरलता अब घाटे की स्थिति में है. आरबीआई हमेशा जून (मौद्रिक) नीति में विकल्प खुला रख सकता है.” भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) मामूली रूप से गिर गई लेकिन यह फरवरी 2023 में दूसरे सीधे महीने के लिए आरबीआई के 6 प्रतिशत ऊपरी टोलेंरस बैंड से ऊपर थी.जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.52 फीसदी था.
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