नई दिल्ली: सोना में निवेश (Investing in Gold) करना हमेशा से सेफ और भरोसेमंद माना गया है. भारत में तो यह आम बात है. भारत की ज्यादातर महिलाएं सोना खरीदारी (gold shopping) में रुचि दिखाती रही हैं. यह प्रक्रिया लंबे समय से चलता रहा है. जब भी दुनिया में मंदी की आहट होती है तो भारतीय रिजर्व बैंक सोने की खरीदारी बढ़ा देता है. आरबीआई ने नवंबर 2024 में 8 टन सोना खरीदकर नया रिकॉर्ड बनाया है. इससे भारत का कुल स्वर्ण भंडार 876 टन तक पहुंच गया. भारत का स्वर्ण भंडार इस समय औसत से कई गुणा अधिक है.
महंगाई के दौर में सोना खरीदना आर्थिक रूप से अच्छा माना गया है. इसके अलावा डिमोनेटाइजेशन के समय भी इसका मूल्य बना रहता है. दुनिया में वित्तीय अस्थिरता का दौर चल रहा हो तो सोना यह एक सुरक्षित आश्रय का रूप माना गया है. वैश्विक या स्थानीय वित्तीय संकटों के दौरान, सोने की कीमतें बढ़ने लगती हैं. जब बाजार अस्थिर हों और इक्विटी बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना रहे तो सोना खरीदना फायदेमंद सौदा माना गया है.
आरबीआई ने 2024 में सोने की जबरदस्त खरीदारी की है. नवंबर में 8 टन सोना खरीदने के साथ ही इस साल आरबीआई ने कुल 73 टन सोना खरीदा है. इतनी बड़ी खरीदारी के बाद भारत का स्वर्ण भंडार 876 टन हो गया. इस साल सोना खरीदने में आरबीआई ने पोलैंड के नेशनल बैंक (एनबीपी) के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया है.
सोने की सबसे ज्यादा खरीदारी पोलैंड करता है. पोलैंड का नेशनल बैंक सबसे अधिक सोना खरीदता है. नवंबर में उसने 21 टन सोना खरीदा, जिससे उसकी सालभर की कुल खरीद 90 टन हो गई. इसके बाद चीन का नंबर आता है. चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भी नवंबर में 5 टन सोना खरीदा. इस साल चीन ने कुल 34 टन सोना खरीदा, जबकि उसके पास कुल 2,264 टन का स्वर्ण भंडार है.
जहां एक ओर कई देश सोना खरीद रहे हैं, वहीं कुछ देश सोना बेच भी रहे हैं. सिंगापुर का मौद्रिक प्राधिकरण (एमएएस) नवंबर में सोना बेचने वालों में सबसे आगे रहा. उसने 5 टन सोना बेचा, जिससे उसका कुल भंडार घटकर 223 टन रह गया है.
दुनियाभर में चल रही आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच केंद्रीय बैंक सोने को सुरक्षित निवेश मानकर अपने भंडार को बढ़ा रहा है. भारत इस दिशा में तेजी से सोना खरीद कर अपने स्वर्ण भंडार को बढ़ा रहा है. आरबीआई की यह खरीदारी बताती है कि सोना न केवल निवेश का भरोसेमंद जरिया है, बल्कि देश की आर्थिक सुरक्षा का आधार भी है.
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