मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में सरकार की ओर से तीन नए सदस्यों की नियुक्ति के बाद कमिटी बुधवार से मौद्रिक नीति की समीक्षा कर रही है। बैठक का क्या निष्कर्ष निकला इसके बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आज (09 अक्टूबर) जानकारी देंगे। ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई इस बार प्रमुख नीतिगत दर में किसी भी तरह के बदलाव नहीं करेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी को 31 मार्च 2021 तक वार्षिक महंगाई दर को 4% पर रखने का काम दिया गया है। यह अधिक से अधिक 6% तक और कम से कम 2% तक जा सकती है।
इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर में तेजी के मद्देनजर नीतिगत दर में कमी नहीं कर सकता है। हालांकि उद्योग संगठनों का कहना है कि आरबीआई को कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था के सुस्त पड़ने की गंभीर चुनौतियों के मद्देनजर नीतिगत ब्याज दरों में कमी का अपना रुख बनाए रखना चाहिए। गौर हो कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अगस्त में हुई पिछली बैठक में नीतिगत दर को यथावत रखा था। हालांकि उससे पहले फरवरी के बाद से आरबीआई नीतिगत दर में 1.15 अंक की कटौती कर चुका है। वर्तमान रेपो रेट 4 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत है।
बतादें कि सरकार ने एमपीसी में तीन सदस्यों की नियुक्ति की है । तीन जाने माने अर्थशास्त्रियों अशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे को एमपीसी का सदस्य नियुक्त किया है । इन सदस्यों की नियुक्ति चेतन घाटे, पामी दुआ, रविन्द्र ढोलकिया के स्थान पर की गई है। इनकी नियुक्ति एमपीसी में 29 सितंबर 2016 को चार साल के लिए की गई थी। भिडे नेशनल काउंसिल फार एपलायड इकोनोमिक रिसर्च में सीनियर एडवाइजर हैं वहीं गोयल इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च में प्रोफेसर हैं। वर्मा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में प्रोफेसर हैं। छह सदस्यों वाली एमपीसी के अन्य तीन अन्य सदस्यों में रिजर्व बैंक के गवर्नर, डिप्टी गवर्नर (मौद्रिक नीति के प्रभारी) और एक रिजर्व बैंक के अधिकारी जिनकी नियुक्त सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा की जाती है। वे भी शामिल होते हैं।
गौरतलब है कि आरबीआई ने इससे पहले 28 सितंबर को एमपीसी की बैठक को आगे के लिए टाल दिया था। कमिटी की बैठक में कम से कम 4 सदस्यों की उपस्थिति होनी जरूरी है। कमिटी में स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारण बैठक को टालना पड़ा। यह बैठक 29 सितंबर से शुरू होनी थी। जिसे बढ़ाकर 07 अक्टूबर किया गया।
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