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    RBI ने एक और बैंक का लाइसेंस किया रद्द, जानिए जमाकर्ताओं के पैसों का क्या होगा?

  • May 14, 2021

    नई दिल्‍ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यूनाइटेड को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (United Co-Operative Bank Ltd।) का लाइसेंस रद्द (License Cancel) कर दिया है। पश्चिम बंगाल के बगनान में मौजूद इस बैंक की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए RBI ने ये कदम उठाया है।

    United Co-Operative Bank का लाइसेंस रद्द
    लाइसेंस रद्द होने के बाद 13 मई 2021 से ही United Co-Operative Bank Ltd. में सभी तरह की बैंकिंग गतिविधियों पर रोक लग गई है। RBI ने बताया कि पश्चिम बंगाल के को-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्‍ट्रार ने भी बैंक को बंद करने और लिक्विडेटर की नियुक्ति करने की अपील की थी। RBI के इस कदम से अब को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं की चिंता बढ़ने लगी है कि बैंक में जमा उनके पैसों का क्या होगा, पैसे उन्हें वापस मिलेंगे या नहीं।

    ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?
    RBI का कहना है कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है और ना ही भविष्‍य में उसकी कमाई की कोई उम्‍मीद है। जहां तक बैंक के ग्राहकों का सवाल है तो बैंक के सभी जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्‍योरेंस (Deposit Insurance) और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के जरिये पूरी जमा रकम लौटाई जाएगी। बैंक की ओर से ग्राहकों के बारे में जो आंकड़े उपलब्‍ध कराए गए हैं, उसी के मुताबिक सभी जमाकर्ताओं को पूरी रकम लौटाई जाएगी। हालांकि केंद्रीय नियमों के मुताबिक, 5 लाख रुपए तक की अधिकतम सीमा का पालन भी किया जाएगा। United Co-Operative Bank Ltd के खिलाफ रिजर्व बैंक ने 18 जुलाई 2018 को भी कार्रवाई की थी। तब RBI ने बिना लिखित अनुमति के बैंक को निवेश, लोन देने, स्कीम के नवीनीकरण समेत कई सेवाओं पर पाबंदी लगा दी थी।


    RBI ने कहा, इसलिए लगाई पाबंदी
    रिजर्व बैंक ने कहा कि ये बैंक बैंकिंग रेग्‍युलेशन एक्‍ट, 1949 (Banking Regulation Act, 1949) के कुछ प्रावधानों को पूरा नहीं कर रहा था। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक की जैसी वित्तीय स्थिति है, वो अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा। बैंक अगर अपना कामकाज चालू रखता है तो ये ग्राहकों के हितों के खिलाफ होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए बैंक का लाइसेंस रद्द करने का का फैसला किया गया है। बैंक की सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है।

    क्या है डिपॉजिट इंश्योरेंस
    जब कोई बैंक डूब जाता है या उसकी वित्तीय हालत खराब हो जाती है तो उसके जमाकर्ताओं की एक तय सीमा तक रकम सुरक्षित रहती है, जिस नियम के तहत ऐसा होता है उसे डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कहते हैं। डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एक तरह का प्रोटेक्‍शन कवर है। यह बैंक के जमाकर्ताओं को मिलता है। DICGC के तहत सभी तरह के बैंक जमा को कवर होता है। इनमें बचत, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, करेंट अकाउंट और रेकरिंग डिपॉजिट (RD) शामिल हैं।

    5 लाख रुपये तक रकम वापस होगी
    इसकी सीमा 5 लाख रुपए तक होती है। इसका मतलब है कि बैंक में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की जमा ही सुरक्षित है। अगर आपकी किसी एक बैंक में कुल डिपॉजिट 5 लाख रुपए से ज्‍यादा है तो भी आपको केवल 5 लाख रुपए तक का ही कवर मिलेगा। यानी बैंक के डूबने या लाइसेंस रद्द होने के मामले में ग्राहक को 5 लाख रुपए तक की रकम ही लौटाई जाएगी। चाहे बैंक में जमा रकम 5 लाख रुपए से कम हो या इससे ज्यादा।

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