इंदौर। कोरोना के कारण दो साल से मंदी की मार झेल रहे बस व्यवसाय को अब थोड़ी राहत मिलने लगी है। कोरोना का असर कम होने से बसों में यात्री संख्या में एक बार फिर बढ़ोतरी होने लगी है। इससे कोरोना काल में बंद हो चुकी आधी से ज्यादा बसें फिर शुरू हो गई हैं। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधा भी मिलने लगी है और बस संचालक भी व्यापार बढ़ने से खुश हैं।
कोरोना काल में इंदौर से देश के प्रमुख शहरों के लिए चलने वाली ऑल इंडिया परमिट की ज्यादातर बसें बंद हो गई थीं। ये बसें ही प्रमुख शहरों के लिए कनेक्टिविटी का प्रमुख साधन हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद बसों का संचालन शुरू होने लगा, लेकिन यात्रियों में संक्रमण का डर और कड़े प्रतिबंधों के चलते यात्री संख्या काफी कम थी। इसके कारण शहर से चलने वाली आधी से ज्यादा बसें बंद ही थीं, लेकिन इसी माह से कोरोना का असर कम होने और प्रतिबंध लगभग खत्म हो जाने से यात्री संख्या फिर बढ़ने लगी है, जिसे देख बंद बसों में से आधी बसें फिर शुरू हो गई हैं। बस संचालकों का कहना है कि इस समय कोरोना का डर कम होने और होली का त्योहार होने से भी बसों में यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, जिससे घाटा उठा रहे बस संचालकों को थोड़ी राहत मिली है।
पहले प्रमुख शहरों के लिए चलती थीं 500 बसें, अभी चल रहीं 400
ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने बताया कि इंदौर से कोरोना काल के पहले ऑल इंडिया परमिट पर 500 से ज्यादा बसें चलती थीं। ये बसें इंदौर से मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद, कोल्हापुर, अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, दाहोद, जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, कोटा, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, कानपुर, रायपुर जैसे शहरों के लिए संचालित होती थीं। कोरोना काल में आधी से ज्यादा बसें बंद हो गई थीं, लेकिन अब यात्री संख्या बढ़ने पर बंद हो चुकी बसें फिर चलने लगी हैं। इस समय शहर से रोजाना 350 से 400 बसों का संचालन हो रहा है। इनसे लगभग सभी रूट्स कवर किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में और भी बसें फिर शुरू हो सकती हैं।
कुछ बस संचालकों ने बंद किया काम
गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल में बसों का संचालन बंद होने से और बाद में भी यात्री कम मिलने से लेकर बसों का संचालन महंगा होने से कई बस संचालक बसों का संचालन पूरी तरह से बंद कर चुके हैं। बसें बेचने के बाद वे दूसरे कामों में जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को बस संचालकों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। ईंधन की कीमतें नियंत्रित करने के साथ ही टैक्स में भी छूट दी जानी चाहिए।
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