रतलाम। कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति (Willpower) के बूते मिलने वाले परिणाम कितने सार्थक होते है इसकी मिसाल जिले के सैलाना तहसील के करिया गांव की एक किसान दम्पत्ति ने पेश की है। पेशे से कृषि मजदूरी करने वाले धन्नालाल पाटीदार (Dhannalal Patidar) व पत्नी जमुना देवी ने कृषि विज्ञान केंद्र कालूखेड़ा जाकर मधुमक्खी पालन (Bee keeping) की इच्छा जताई व इसके लिए केंद्र के नोडल अधिकारी ज्ञानेंद्र प्रताप तिवारी से सात दिवसीय प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। संसाधन जुटाने के लिए कोटा जाकर मधु मक्खियों के दस बाक्स खरीद कर अपने खेत पर स्थापित किए। महज एक माह के अंतराल मे शहद उत्पादन शुरू कर जिले मे पहला मधुमक्खी पालन केंद्र खोलने का गौरव अपने नाम किया।
धन्नालाल पाटीदार व जमुनादेवी के अनुसार मधुमक्खी पालन सुनना ही अपने आप मे डरावना लगता है किन्तु प्रशिक्षण मे डा.तिवारी व सर्वेश त्रिपाठी द्वारा मधुमक्खी पालन करने से सामान्यत: फसल के उत्पादन मे 35प्रतिशत वृद्धि के साथ किसान की आय दुगनी करने का कारगर प्रयास बताया गया था जिसे लेकर पालन केंद्र को लेकर ओर ज्यादा जिज्ञासा बढ़ती गई ।
शिक्षा कम उड़ान ऊंची -धन्नालाल की शिक्षा हाईस्कूल तक की है, जबकि जमुनादेवी की महज अक्षर ज्ञान ही है। इसके बावजूद आज शहद के साथ मोम व पोलन का उत्पादन भी लिया जा रहा है जिसके बदले एक माह मे तकरीबन 20 हजार से ज्यादा की आमदनी हुईं । प्रशिक्षण के आधार पर अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर जमुनादेवी ने शहद -हल्दी, शहद -नींबू अचार भी बनाया है जो शुगर फ्री होकर असाध्य बीमारी के उपचार मे भी काम मे लिया जाता है ।
बाक्स मे 12000से ज्यादा मक्खियों का बसेरा रहता है -धन्नालाल बताते है कि प्रति बाक्स मे 12000 मक्खिया रहती है जिसमे मादा के तौर पर महज एक रानी रहती है जबकि 30 प्रतिशत मक्खिया नर के रूप मे व शेष 70 प्रतिशत मक्खिया वर्कर के रूप मे रहती है जिनका कार्य दिन के समय फूलो से रस लाकर शहद का निर्माण करना होता है।
क्या कहते है वैज्ञानिक – श्री त्रिपाठी एवं श्री तिवारी ने बताया की मधुमक्खी पालन से शहद के साथ साथ मोम, पराग मोनीविश व रायल जेली का उत्पादन भी होता है जिसके सेवन करने से तपेदिक, अस्थमा, रक्तचाप, कब्जियत, खून की कमी, गठियावादी व कैंसर की दवाई मे काम आती है। खासियत के तौर पर शहद उत्पादन के साथ खेत मे खड़ी फसल के उत्पादन मे प्रमाणिक वृद्धि मिलती हैजिससे किसान की आय मे अतिरिक्त इजाफा होता है। गांव के किसान दंपति द्वारा मधुमक्खी पालन स्थापित कर शहद का उत्पादन करना बहुत प्रशंसनीय पहल है।
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