नई दिल्ली: घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश की वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो कि पिछले छह तिमाहियों की तुलना में सबसे कम है. लोकसभा चुनाव के चलते सरकारों ने पूंजीगत व्यय में कमी की, जिसका असर देश की जीडीपी वृद्धि दर पर भी दिख रहा है.
वृद्धि दर में कमी के पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए जा रहे हैं. पहला सरकारी निवेश में कमी, संसदीय चुनाव के चलते इस बार केंद्र और राज्य सरकारों ने कम निवेश किया जिसके चलते कुछ क्षेत्रों में अस्थायी मंदी देखी गई .दूसरा इस तिमाही में शहरी क्षेत्रों में कम मांग रही जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण के अनुसार ख़राब मानसून भी एक वजह है. पिछले साल के ख़राब मानसून का असर अभी भी ग्रामीण इलाकों में दिख रहा है जिसकी वजह से वहां मांग में सुधार नहीं हो पाया है.
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में संसदीय चुनाव और केंद्र तथा राज्य स्तर पर कमजोर सरकारी निवेश के कारण जीडीपी की वृद्धि दर में कमी होने की संभावना है. इक्रा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रह सकती है, जो कि 2023-24 के 8.2 प्रतिशत के मुकाबले कम है. जबकि ग्रास वैल्यू एडेड वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अब सबकी निगाहें सांख्यिकी मंत्रालय पर हैं जिसका आधिकारिक आंकड़ा 30 अगस्त को जारी होगा देखना दिलचस्प होगा कि उसमें क्या बताया जाता है.
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