नई दिल्ली. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं (Satellite broadband service) जल्द ही सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच कम्पटीशन का अगला क्षेत्र बन सकती हैं. इस क्षेत्र में नए प्रवेशकर्ता कनाडा की कंपनी टेलीसैट के साथ साझेदारी में टाटा ग्रुप के होने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ग्रुप (Tata Group) की नेल्को कंपनी (Nelco ltd) की लाइटस्पीड सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं (broadband service) को 2024 तक भारत में लाने के लिए टेलीसैट (telesat) के साथ बातचीत कर रही है. कथित तौर पर दोनों कंपनियों के बीच साझेदारी की बातचीत अंतिम चरण में है, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस सर्विस के लिए परीक्षण जल्द ही शुरू हो सकते हैं.
टेलीसैट के पास एक बड़ा सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्लान है, जहां इसका लक्ष्य 298 लो एअर्थ ऑर्बिट सॅटॅलाइट को स्थापित करने के लिए करीब 37,200 करोड़ रुपये का निवेश करना है. पारंपरिक सॅटॅलाइट की तुलना में ये सॅटॅलाइट अधिक प्रभावी होने की उम्मीद है, जिससे बेहतर नेटवर्क और तेज़ स्पीड मिलेगी. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं मुश्किल इलाकों में जीवन रेखा का काम कर सकती हैं, जहां वायर्ड इंटरनेट सेवाओं का पहुंचना मुश्किल है. भारत में इलाकों की विविधता को देखते हुए, टेलीसैट द्वारा लाइटस्पीड और एलोन मस्क के स्टारलिंक जैसी सेवाओं के प्रमुख कनेक्टिविटी रिसोर्सेज होने की उम्मीद है.
मस्क के स्टारलिंक (Starlink) ने अपनी सेवा के लिए पहले से ही प्री-बुकिंग शुरू कर दी है, जिसके 2022 तक लगभग 150 एमबीपीएस की औसत कनेक्शन बैंडविड्थ के साथ शुरू होने की उम्मीद है. भारती एयरटेल भी 2022 से शुरू करने के लिए वनवेब सॅटॅलाइट इंटरनेट सेवा पर जोर दे रही है, वहीं जेफ बेजोस की कंपनी अमेजन (amazon) भी अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के साथ इस सेगमेंट में प्रवेश कर सकता है. भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट यूज़र्स में से एक है, जिससे सीमांत क्षेत्रों में ऐसी सेवाओं की मांग बढ़ने की उम्मीद है.
भारत इंटरनेट सेवाओं के विकास के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, आबादी का एक महत्वपूर्ण वर्ग जिसे स्टेबल और हाई स्पीड कनेक्टिविटी की अभी भी जरूरत है. देश में रिलायंस जियो के कारण इंटरनेट यूज़र्स की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई थी, जिसने मोबाइल इंटरनेट (Mobile internet) की लागत को काफी कम कर दिया और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों का भी विस्तार किया. जियो (Jio) ने अन्य टेलीकॉम ऑपरेटरों को भी इस सेगमेंट में सोचने के लिए मजबूर किया, जिससे भारत इंटरनेट कनेक्टिविटी के मामले में दुनिया के सबसे किफायती देशों में से एक बन गया है.
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