नई दिल्ली। भारत (India) समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस (Corona virus) संकट (Crisis) अभी खत्म भी नहीं हुआ है और इस बीच बुखार से जुड़ी एक नई बीमारी सामने आई है. कोरोना (Corona) के कम होते संक्रमण के बाद धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है, लेकिन इस बीच एक जानलेवा बीमारी (life-threatening illness) सामने आई है, जिसे लासा बुखार (Lassa Fever या Lassa Virus) के नाम से जाना जाता है. इस बीमारी के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है, क्योंकि ब्रिटेन (Britain) में एक मरीज की मौत हो चुकी है.
तीन संक्रमितों में से एक मरीज की मौत हो चुकी है, हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि लासा बुखार (Lassa Fever) की मृत्यु दर अभी 1 प्रतिशत है, लेकिन कोरोना संक्रमण(corona infection) के बीच यह चिंता की वजह इसलिए बना है, क्योंकि कुछ संक्रमितों में मृत्यु दर बहुत ही ज्यादा है. कुछ लोगों और गर्भवती महिलाओं को उनकी तीसरी तिमाही में इसका जोखिम अधिक होता है. ब्रिटिश स्वास्थ्य (British Health) अधिकारियों के मुताबिक, लासा बुखार (Lassa Fever) के तीन मामले सामने आए हैं, जिसमें से एक मरीज ने उत्तरी लंदन के एक अस्पताल में 11 फरवरी को दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि सभी संक्रमित इंग्लैंड के एक ही परिवार के हैं और हाल ही में पश्चिमी अफ्रीका की यात्रा करके लौटे हैं. लासा बुखार (Lassa Fever) को लेकर सबसे बड़ी टेंशन यह है कि इसके 80 फीसदी मामले एसिम्पटोमेटिक (asymptomatic) होते हैं, जिसकी वजह से इसका पता लगाना काफी मुश्किल है. यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है और उनकी बीमारी काफी गंभीर हो सकती है. लासा वायरस से पीड़ित अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों में से 15 फीसदी तक की मौत हो सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, लासा बुखार (Lassa Fever) संक्रमित चूहे के मल-मूत्र के जरिए फैलता है और अगर कोई व्यक्ति चूहे के मल-मूत्र के संपर्क में आता है तो वह लासा बुखार से संक्रमित हो सकता है. इसके बाद संक्रमित संक्रमित व्यक्ति अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ या श्लेष्मा झिल्ली जैसे आंख, मुंह, नाक के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैल सकता है. लासा वायरस लासा बुखार (Lassa Fever) उसी परिवार से जुड़ा है, जिससे इबोला और मार्गबर्ग वायरस है. लासा बुखार पहली बार 1969 में नाइजीरिया के लासा शहर में खोजा गया था और इसी शहर के नाम पर इस बीमारी का नाम पड़ा है. इस बीमारी का पता तब चला जब नाइजीरिया में दो नर्सों की इससे मौत हो गई थी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लक्षणों के गंभीर होने तक लासा बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है और इसके लक्षण 1 से 3 सप्ताह बाद विकसित होते हैं. लासा बुखार के लक्षणों में थकान, सिरदर्द, कमजोरी, बुखार आदि शामिल हैं. इसके अलावा कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई, चेहरे का फूलना, रक्तस्राव, सीने में दर्द, पेट में झटका या उल्टी आदि महसूस हो सकते हैं. यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल का मानना है कि लासा बुखार (Lassa Fever) के लक्षणों की शुरुआत से दो सप्ताह के बाद कुछ मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल होने की वजह से मरीज की मौत हो सकती है. कोरोना संक्रमण के बीच लासा बुखार (Lassa Fever) का संकट काफी गंभीर हो सकता है, इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए उन जगहों पर ना जाने की सलाह दी जा रही है, जहां चूहे आ सकते हैं. इसके अलावा घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और वेंटिलेशन का खास ध्यान रखें.