भोपाल । मध्य प्रदेश (MP) की राजधानी भोपाल (Bhopal) स्थित कमला नेहरू अस्पताल (Kamla Nehru Hospital) में लगी आग (Fire) में 8 मासूमों (8 innocent) को बचाने (Save) वाले भोपाल के राशिद खान (Rashid Khan) अपने भांजे (His nephew) को नहीं बचा सके (Could not save) ।
अस्पताल में लगी आग से कई परिवारों में मातम छा गया। बता दें कि इस हादसे में चार मासूम बच्चों की जान गई और 36 नवजातों को बचाया गया । आग लगने की इस घटना ने कई लोगों को ऐसा अनुभव दिया जिसे वो जीवनभर नहीं भूल पाएंगे। इस भवायह हादसे में 8 मासूमों को बचाने वाले भोपाल के राशिद खान अपने भांजे को नहीं बचा सके। राशिद खान की बहन इरफाना ने शादी के 12 साल बाद दो नवंबर को बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन सात दिन बाद ही इस आग ने उसकी गोद उजाड़ दी। अपने भांजे को दफनाने के बाद राशिद ने अपने आंसू रोकते हुए उस भयानक मंजर की कहानी बताई।
राशिद ने कहा कि उस रात वो घर पर खाना खा रहे थे कि तभी उनकी बहन इरफाना ने फोन पर अस्पताल में आग लगने की जानकारी दी। इरफाना काफी घबराई हुई थी। राशिद जब अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) पहुंचे, तो देखा कि अफरा-तफरी का माहौल था। हताश डॉक्टर और नर्स नवजात बच्चों को लेकर वार्ड से बाहर ले जाने के लिए दौड़ रहे थे। उस मंजर को याद करते हुए राशिद ने कहा कि उस अफरा-तफरी में वह अपने नवजात भांजे की तलाश करने के बजाय, डॉक्टरों और नर्सों के साथ बचाव काम में लग गए। राशिद ने कहा कि मेरे मन ख्याल आया कि अगर मैं इन मासूम बच्चों की जान बचा लूंगा, तो अल्लाह मेरे भी बच्चे की रक्षा करेंगे।
खान ने बताया कि उन्होंने आठ नवजातों को बचाया, लेकिन अपने भांजे राहिल को वो नहीं बचा सके। उन्होंने कहा कि वहां कमरा धुएं से भरा हुआ था, लेकिन आग की लपटें कम थीं। हमने तारों को काटना शुरू कर दिया, बिजली से चल रहे उपकरणों को बाहर निकाला और बच्चों को दूसरे वार्ड में ले गए।उन्होंने बताया कि इस भयानक हादसे के चलते हड़बड़ी में, मैंने अपने भांजे की तलाश नहीं की। आठ बच्चों को बचाने के बाद, जब मुझे पता चला कि सभी शिशुओं को वार्ड से निकाल लिया गया है, तो मैंने राहत की सांस ली। इसके करीब 30 मिनट बाद मैंने अपने भांजे की तलाश शुरू की। तड़के 3 बजे मुझे मुर्दाघर में पता करने के लिए कहा गया। बता दें कि राशिद खान को वहां अपने भांजे की लाश मिली।
राशिद खान की बहन इरफाना भोपाल के गौतम नगर की रहने वाली हैं। शादी के 12 साल बाद सामान्य डिलीवरी हुई थी। जन्म के समय बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी, जिसके चलते उसे कमला नेहरू चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बता दें कि इरफाना के साथ-साथ अस्पताल की आग ने तीन और घरों के चिराग बुझा दिए हैं।
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