नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा चुने गए ‘एल्डरमेन’ के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. शीर्ष न्यायालय में आगामी 24 मार्च को इस मामले की सुनवाई होगी. दिल्ली नगर निगम (MCD) में महापौर के चुनाव के दौरान ‘एल्डरमेन’ के वोट को लेकर काफी विवाद हुआ था. अंत में ‘आप’ नेता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था ‘एल्डरमेन’ को वोट देने का अधिकार नहीं है.
महापौर चुनाव से पहले उपराज्यपाल द्वारा जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली नगर निगम के लिए दस ‘एल्डरमेन’ मनोनीत किए गए थे. ‘एल्डरमेन’ उन लोगों को कहा जाता है जो अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं. हालांकि, महापौर चुनाव में उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता है. दिल्ली सरकार ने 3 जनवरी को एक अधिसूचना जारी करके कहा था कि उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा 10 सदस्यों को नामित किया गया है.
अधिसूचना में कहा गया था, ‘दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 (1957 की 66) की धारा 3 की उप-धारा (3) के खंड (बी) के उप-खंड (आई) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल 2022-2027 की अवधि के लिए दिल्ली नगर निगम में प्रतिनिधित्व करने के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों को मनोनीत करते हैं.’
2012 के बाद पहली बार एकीकृत नगर निगम के चुनाव दिसंबर 2022 में हुए. 1958 में अस्तित्व में आये पूर्ववर्ती एकीकृत दिल्ली नगर निगम को 2012 में तीन भागों में बांट दिया गया था, जिसे मई 2022 में एक कर दिया गया. एक नया परिसीमन किया गया था. इस चुनाव में आप ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की, जिससे नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 15 साल के शासन का अंत हो गया. दिसंबर में हुए चुनाव में 250 सदस्यीय सदन में भाजपा ने 104 वार्डों में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने नौ सीटें जीतीं.
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