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    झारखंड : मुख्‍यमंत्री चंपाई सोरेन का अधिकारियों को निर्देश, जल्‍द करें 26 हजार शिक्षकों की भर्ती

  • June 25, 2024

    रांची (Ranchi) । मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन (Chief Minister Champai Soren) ने सोमवार को झारखंड मंत्रालय (Jharkhand Ministry) में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy) के अध्ययन कार्य प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने समीक्षा के क्रम में अधिकारियों को निर्देश दिया कि 15 अगस्त 2024 तक इंटर स्तरीय प्रशिक्षित सहायक आचार्य के 11 हजार पदों और स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित सहायक आचार्य के 15 हजार पदों पर हर हाल में 05 सितम्बर तक नियुक्ति सुनिश्चित करें। शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।

    सीएम ने कहा कि शिक्षक बहाली के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षक बहाली की सभी प्रक्रियाओं को जल्द पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि उनकी सरकार राज्य में शैक्षणिक व्यवस्थाओं को निरंतर मजबूत करने का कार्य कर रही है। स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों को शिक्षकों की कमी की वजह से पठन-पाठन में बाधा नही पहुंचे यह हमसभी की नैतिक जिम्मेवारी है।


    मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में समृद्ध जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्राथमिक विद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय विषयों की पढ़ाई प्रारंभ हो सके इस के लिए जनजातीय भाषा के 3538 एवं क्षेत्रीय भाषाओं के 8418 पदों पर नियुक्ति की सभी प्रक्रियाओं को जल्द पूरा करें।

    उन्होंने कहा कि सदृश्य वादों में पारित न्यायादेश के आलोक में अंतिम काउंसलिंग के आधार पर चयनित 1511 प्रारंभिक शिक्षकों को जल्द नियुक्ति पत्र दें। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य के भीतर वैसे स्कूल जिसे कठिन भौगोलिक समस्याओं के कारणों से बंद किया गया था, उन विद्यालयों को फिर से प्रारंभ करने के लिए विभाग जरूरी कार्य योजना बनाएं।

    वन पट्टा में आनाकानी करने वाले अफसरों पर कार्रवाई
    मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा है कि वन पट्टा देने में आनाकानी करने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होगी। जो अधिकारी वनपट्टा के लिए प्राप्त आवेदनों को जानबूझकर रद्द करने का प्रयास करेंगे, राज्य सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। सीएम सोमवार को श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान (एटीआई) के सभागार में अबुआ बीर, अबुआ दिशोम अभियान पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वर्ष 2006 में वन अधिकार अधिनियम लागू हुआ। यह चिंता का विषय है कि 18 सालों में भी हम वन भूमि का अधिकार देने में काफी पीछे हैं।

    झारखंड के विभिन्न कार्यालयों में वनपट्टा के हजारों आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। यह आवेदन क्यों रद्द हुए हैं, इसका जवाब जनता को देना पड़ेगा। वन भूमि पर जिनका जितना अधिकार है उन्हें सम्मान पूर्वक उपलब्ध कराएंगे।

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