– डॉ. मयंक चतुर्वेदी
इसे राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रबल प्रवाह की कहा जाएगा कि पहले मध्य प्रदेश में रामपथ गमन के लिए सत्ता में आते ही प्रभावी कार्य योजना पर कार्य आरंभ किया गया, फिर स्थानों का चयन कर उनके विकास की चरणबद्ध अनेक योजनाएं संचालित होना शुरू हुईं और अब पूर्ण सफलता के लिए अंतिम कार्य श्री रामचन्द्र पथ-गमन वाले अंचलों के विकास के लिये “श्री रामचन्द्र पथगमन न्यास” के गठन की स्वीकृति देकर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने इसे पूर्णता प्रदान कर देने का कार्य कर दिया है । प्रदेश मंत्रिमण्डल में इस कार्य को स्वीकृति देने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज का ट्वीट भी आया ।
”राम हमारे रोम-रोम में रमे हैं। वनवास के समय प्रभु श्री राम जिन मार्गों से होकर गुजरे, वहां हम राम वन गमन पथ बना रहे हैं। आज कैबिनेट ने ‘श्री रामचंद्र पथ-गमन न्यास’ के गठन का निर्णय लिया है, जो वहां होने वाले विभिन्न विकास कार्यों की देखरेख करेगा। देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।” आज देखा जाए तो कुछ लोग इस निर्णय को कांग्रेस की प्रतिक्रिया के रूप में भी देख रहे हैं।
दरअसल, कुछ लोगों को ऐसा इसलिए लग सकता है क्योंकि जिस मुद्दे को लेकर कमलनाथ और कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से रामवन गमन पथ नहीं बनाए जाने को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरे जाने का प्रयास जिस दिन किया गया उसी दिन शिवराज मंत्रिमण्डल ने “श्री रामचन्द्र पथगमन न्यास” के गठन की स्वीकृति दे दी। लेकिन तथ्यों को देखें तो यह कोई कांग्रेस की प्रतिक्रिया नहीं है, जिसमें कांग्रेस की ओर से 04 मई 2023 को लिखा गया था – कमलनाथ सरकार- राम वन गमन पथ को मंजूरी, 22 करोड़ का बजट आवंटित, परियोजना पर कार्य प्रारंभ, राम भक्तों का सम्मान। दूसरी ओर शिवराज सरकार- राम वन गमन पथ पर रोक, बजट का अता पता नहीं, परियोजना पर बीजेपी भारी, प्रभु राम का अपमान।
यदि श्रीराम पथ गमन के इतिहास में जाएं तो प्रदेश में वर्ष 2003 में भाजपा की उमा सरकार आते ही इस पर काम शुरू हो गया था। उसके बाद बाबूलाल गौर फिर शिवराज ने इस पर गहन काम किया। मध्य प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने 28 फरवरी 2022 को ही मीडिया बुलाकर इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि “श्री रामचन्द्र गमन पथ” को लेकर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार किस तरह से काम कर रही है, उन्होंने तभी कह दिया था कि यह जल्द बनकर तैयार होगा। तत्कालीन समय में एक वर्ष पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने पत्रकारों के बीच यह दावा भी किया था कि जल्द ही राम वन गमन पथ न्यास बनाकर, राम वन गमन पथ योजना को पूरा किया जाएगा।
उषा ठाकुर ने इसके साथ ही यह भी बता दिया था कि सरकार क्या चाहती है और क्या करने जा रही है । उन्होंन साफ कर दिया था कि ‘राम वन गमन पथ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है। आचार्य शंकर न्यास जो हमने ओंकारेश्वर में बनाया है, उसकी तर्ज पर ही राम वन पथ गमन न्यास बनाया जाएगा। इस योजना पर तेजी से काम शुरू हो सके, इसके लिए हमने इसे धर्मस्व विभाग से निकालकर, संस्कृति विभाग में शामिल किया है’। अब मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिल जाने के बाद जो एक वर्ष पहले संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर की तरफ से कहा गया था, उस पर पूरी तरह से मुहर लग गई है।
शिवराज सरकार की मंशा इसे लेकर कितनी गंभीर थी, यदि इसकी ओर पड़ताल करें तो फिर हमें बहुत पीछे जाना होगा, लेकिन जब 2021 को देखते हैं तो जुलाई माह में सीएम शिवराज का वह निर्णय सामने आ जाता है जिसमें मध्य प्रदेश में रामपथ वन गमन के विकास को लेकर राज्य सरकार तेजी से कार्य करती दिखती है। योजना के पहले चरण में चित्रकूट से शुरू हो रहे रामपथ वन गमन मार्ग के निर्माण की फिजीबिलिटी रिपोर्ट और डीपीआर बनाने के लिए आध्यात्म विभाग एक करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति देता है। कलेक्टर को कहा जाता है कि वे स्वयं से हर 15 दिन मे संबंधित विभागों की बैठक लेकर प्रगति की समीक्षा करेंगे और सीधे सीएम सचिवालय को अपडेट करेंगे।
मध्य प्रदेश की पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री ऊषा ठाकुर इस कार्य के लिए बार-बार चित्रकूट के दौरे पर पहुंचती हैं, उनका पूरा का पूरा फोकस सिर्फ रामपथ वन गमन पर दिखाई देता है। वे इस पथ के निर्माण की पूरी रूपरेखा तैयार कर वाती हैं। रामपथ वन गमन मार्ग को तीन चरणों मे पूरा किया करने का जब खाका बनता है, तो उसमें तय किया जाता है कि पहले चरण में कामदगिरि परिक्रमा, दूसरे चरण में चित्रकूट की 84 कोशी परिक्रमा स्थल और तीसरे चरण में रामपथ वन गमन के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों को सरकार द्वारा विकसित किया जाएगा। फिर सरकार की ओर से निर्देश जारी कर दिए जाते हैं कि रामपथ वन गमन मार्ग प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार करते समय स्थानीय लोगों, साधु-संतों, जन-प्रतिनिधियों से राय लेकर आगे जमीनी योजना तैयार हो। इतना ही नहीं तो मंत्री ऊषा ठाकुर उत्तर प्रदेश की काशी एवं अन्य घाटों में होने वाली गंगा शयन आरती की तर्ज पर मंदाकिनी घाट पर भी शयन आरती की व्यवस्था करने के निर्देश देती हैं।
तथ्यों पर गौर करें तो 2022 में मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ (कॉरिडोर) का काम शुरू करने के लिए पहले चरण में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर जोर देते हुए शिवराज सरकार 300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति देती है, जिसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार अपने लिए देना तय करती हैं । काम की समय सीमा तय होती है।
इससे पहले कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2019 में कार्ययोजना तैयार करते हुए जरूर 22 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन पथ के निर्माण को लेकर अध्यात्म विभाग के अधिकारियों की अरुचि के चलते यह काम कभी जमीन पर नहीं उतर सका। लेकिन अब जो होने जा रहा है, उससे लगता है कि “श्री रामचन्द्र पथ गमन” एक राम भक्त के लिए दूर की कौड़ी नहीं रह गया है, यह सपना अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की तरह ही जमीन पर हकीकत में पूरा होने जा रहा है, बात सिर्फ कुछ दिनों की ही शेष बची है।
अब प्रदेश में श्री राम वनवास के समय जिन रास्तों से निकले उसके विकास में तेजी आएगी। रामपथ गमन में चित्रकूट, पन्ना, बधवारा (कटनी), रामघाट (जबलपुर), राम मंदिर तालाब, रामनगर मंडला, शहडोल, डिंडौरी और अमरकंटक शामिल हैं। विस्तार से स्थलों को देखें तो इसमें स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्निजिह्ना आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, मार्कंडेय आश्रम, दशरथ घाट, सीता मढ़ी शामिल हैं ।
इस पथ में पन्ना के प्राणनाथ मंदिर, राम जानकी मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, बल्देव जी मंदिर, गोविंद जी मंदिर के दर्शन होंगे। अमरकंटक में नर्मदा उद्गम, श्रीयंत्र मंदिर, पटलेश्वर महादेव, कपिलधारा, बधवारा में बांधवगढ़ नेशनल पार्क, शेष शैया, बांधवगढ़ फोर्ट, बानसागर झील, रामघाट जबलपुर में चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट, योगिनी मंदिर, डिंडौरी में चाड़ा, मेटल क्राफ्ट, बैंबू आर्ट, डगोना वाटर फाल भी देखने मिलेंगे।
नए गठित न्यास “श्री रामचन्द्र पथ गमन” के अध्यक्ष मुख्यमंत्री स्वयं होंगे। न्यास का काम वनवास के समय श्री राम के प्रदेश से गुजरी जगहों का सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विकास करना है। केंद्र सरकार ने प्रदेश में जिन 23 स्थलों को चिह्नित किया है, उन में कार्य किए जाने पर विशेष जोर रहेगा। न्यास के संचालन के लिए समय-समय पर विशेषज्ञ समितियों का गठन करने के साथ ही परियोजना प्रबंधन इकाई गठित की जाएगी। इकाई में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए सात पद रखे गए हैं ।
इसके साथ ही न्यास की गतिविधियों के संचालन के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी समेत 32 नए पद के सृजन की स्वीकृति दी गई है। जिस पर एक करोड़ 57 लाख रुपये से अधिक वार्षिक रूप से खर्च किए जाएंगे। वहीं, इस दौरान राम वन गमन पथ में पुरानी शहरी व्यवस्था का नमूना देखने को मिलेगा। आपको रास्ते में बड़े भवनों का आर्किटेक्चर भी दिखाई देगा जो प्राचीन समय की याद दिलाएगा तो वहीं यात्री निवास, बांस की झोपड़ियां, लाइट ऐंड साउंड-शो का भी प्रबंध किया जा रहा है । इसके अलावा भी बहुत कुछ भव्यता और आनन्द से भर देनेवाले भव्य दर्शन इस राम पथ गमन में भक्तों को भगवान से मिलवाते समय में शिवराज सरकार आनेवाले समय में करावाने जा रही है।
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