कटिहार । राम मंदिर का जो पहले का मॉडल था, वह यथावत रहेगा। भव्यता और दिव्यता को लेकर थोड़ा उसमें विस्तार किया गया। पूरे देश में संतों और राम भक्तों की आकांक्षा को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है। इस बदलाव में मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी जो पहले धरातल से 128 फीट थी वह अब 161 फीट की होगी। इसी तरह मंदिर के उत्तर-दक्षिण हिस्से का भी विस्तार किया जाएगा। इसके कारण गुम्बदों (मंडप) की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो जाएगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि पहले जो ड्राफ्टिंग थी उसमें मंदिर निर्माण का एरिया 27 हजार स्क्वॉयर फीट बनता था। अब यह बढ़कर 57 हजार 242 स्क्वायर फीट हो जायेगा। उसी प्रकार मंदिर निर्माण में पहले 2 लाख 43 हजार घन फीट पत्थर की जगह 3 लाख 75 हजार घन फीट पत्थर लगेगा। उन्होंने बताया कि मंदिर की भव्यता और दिव्यता में कोई कमी न हो इसके लिए पहले के मॉडल को स्वीकृत करते हुए क्षेत्र का विस्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि राममंदिर निर्माण का कार्य लार्सन एंड टुब्रो कंपनी (एलएनटी) को दिया गया है। एलएनटी ने ही सोमनाथ और अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कार्य किया है। मंदिर परिसर की 67 एकड़ भूमि की चहारदीवारी के निर्माण के लिए देश के बड़े-बड़े डिजाइनर को आमंत्रित किया गया है। इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है, उसकी अलग से टेंडर प्रक्रिया होगी।
श्री चौपाल ने बताया कि अयोध्या में शनिवार को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की हुई पहली बैठक में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास की दो तारीखों के साथ ही मॉडल में बदलाव को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि सावन के बाद भादो माह में कोई शुभ कार्य नहींं होगा, इसलिए राम मंदिर निर्माण के लिए 3 या 5 अगस्त को भूमिपूजन कराने पर सहमति बनी है। इन तारीखों पर भूमिपूजन कराने के लिए ट्रस्ट की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण भेजा गया । उन्होंने बताया कि सावन पूर्णिमा के दिन राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास हो जायेगा, उसके बाद निर्माण कार्य चलता रहेगा।
राम मंदिर निर्माण की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कामेश्वर चौपाल ने कहा कि भूमि-पूजन के दिन देशभर के सभी पावन तीर्थ स्थल, नदियोंं एवं समुद्रों से लाये गये जल से भूमि को जागृत किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 19 फरवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की हुई पहली बैठक के बाद से ही मंदिर निर्माण को लेकर सभी तैयारियां शुरू हो गई हैं।
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