नई दिल्ली (New Dehli)। अयोध्या (Ayodhya)में रामलला प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों (preparations)के बीच 1 फरवरी, 1986 को जन्मभूमि (Birth place)का ताला खोलकर पूजा करने का निर्णय (Decision)सुनाने वाले फैजाबाद (अब अयोध्या) के तत्कालीन जिला जज कृष्ण मोहन पांडेय का नाम लोगों की जुबां पर आ रहा है। गोरखपुर शहर के जगन्नाथ पुर मोहल्ले के रहने वाले कृष्ण कुमार पांडेय के ऐतिहासिक निर्णय से न सिर्फ राजनीतिक बहस छिड़ी, बल्कि पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों से उनके लखनऊ स्थित आवास पर धमकी भरे दर्जनों पत्र भी पहुंचे थे।
केएम पांडेय की डॉक्टर बेटी मधु पांडेय बताती हैं, ‘पिता जी को सैकड़ों धमकीभरे पत्र मिलने के बाद भी कोई खौफ नहीं था। अलबत्ता केजीएमसी में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान जब लोगों को मेरे बारे में पता चला तो एक वर्ग ने काफी टार्चर किया, जिससे कुछ पेपर छोड़ने की स्थिति बन गई।’ निर्णय को लेकर राजनीतिक बयानबाजी से आहत डॉ. मुध पांडेय का कहना है कि राम मंदिर का ताला खोलने का निर्णय पिता जी ने किसी कहने या दबाव में नहीं दिया था। वे लंबित मुकदमों के खिलाफ थे। जब वे फैजाबाद के जिला जज नियुक्त हुए तो 40 वर्ष से लंबित इस मुकदमे को प्राथमिकता में रखा। वहां गजेटियर से लेकर पुराने साक्ष्यों का तीन से चार महीने तक गहन अध्ययन किया। उन्होंने सारे साक्ष्य खुद जुटाए थे। जब उन्हें किसी भी निर्णय या फाइल में मंदिर में ताला बंद होने का औचित्य नहीं मिला तो उन्होंने 1 फरवरी 1986 को राम मंदिर का ताला खोलकर पूजा-अर्चना करने का ऐतिहासिक निर्णय दिया। उनका कोई भी निर्णय हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट से रिवर्ट नहीं हुआ।’
भतीजे सुजीत पांडेय बताते हैं कि ताऊ जी का प्रमोशन वर्ष 1990 में हाईकोर्ट के जज के रूप में होना था, लेकिन तत्कालीन प्रदेश सरकार के अवरोध से संभव नहीं हो सका। इतना ही नहीं, एक बार ताऊ जी को राम मंदिर को लेकर निकले लाल कृष्ण आडवाणी के रथ पर सवार होने का प्रस्ताव भी मिला, लेकिन उन्होंने साफ इंकार किया।
निर्णय को लेकर जज ने अपनी पुस्तक में लिखा है रोचक प्रसंग
जज कृष्ण मोहन पांडे ने 1991 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘अंतरआत्मा की आवाज’ में लिखा है कि जिस दिन वह ताला खोलने का आदेश लिख रहे थे, एक बंदर के रूप में उन्हें बजरंग बली के दर्शन हुए। उनकी अदालत की छत पर एक काला बंदर पूरे दिन फ्लैग पोस्ट पकड़े बैठा रहा। वे लोग जो यह फैसला सुनने अदालत में आए थे, उस बंदर को चने और मूंगफली दे रहे थे पर मजाल है कि उसने कुछ भी खाया हो। वह चुपचाप फ्लैग पोस्ट पकड़े बैठा रहा और लोगों को निहारता रहा। आदेश सुनाने के बाद ही वह वहां से गया। फैसला सुनाने के बाद जब डीएम और एसएसपी उन्हें घर पहुंचाने गए, तो उन्होंने उस बंदर को अपने घर के बरामदे में बैठा पाया। वह बहुत आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने उसे प्रणाम किया। वह जरूर कोई दैवीय ताकत थी।
गोरखपुर नगर निगम ने कृष्ण मोहन पांडेय (वार्ड नंबर 65) के नाम से नये वार्ड का गठन वर्ष 2022 में किया था। पिछला चुनाव इसी वार्ड के नाम पर हुआ था। पांडेय ने वर्ष 2000 में अंतिम सांस ली।
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