उज्जैन। रक्षाबंधन का पर्व कल श्रावणी पूर्णिमा पर उत्साह से मना। कल सुबह 9.38 बजे से ही मुहूर्त शुरू हो गया था। फिर भी दिनभर संशय की स्थिति बनी रही। आज भी रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है। कल सबसे पहले भगवान महाकाल को पहली राखी भस्मारती के दौरान बांधी गई। बड़ा गणेश मंदिर में भी गणेशजी को विश्व की सबसे बड़ी राखी दोपहर में बांधी गई। रक्षाबंधन का पर्व कल शुभ मुहूर्त में परंपरा अनुसार लोगों ने मनाया। पर्व की शुरूआत नगर में महाकाल से हुई। यहां कल तड़के भगवान की भस्मारती के दौरान शिवजी को पुजारी परिवार की महिलाओं की ओर से पहली राखी बांधी गई। पिछले कई दिनों से महिलाएं भगवान महाकाल के लिए राखी तैयार कर रहीं थी। महाकाल को राखी बांधने के बाद उन्हें सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया।
महाकाल में कल रक्षाबंधन पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही थी। यहां दर्शनार्थियों को महाभोग की प्रसादी का वितरण किया गया। इधर बड़ा गणेश मंदिर में भी रक्षाबंधन पर्व दोपहर में शुभ मुहूर्त में मनाया गया। यहां गणेशजी को विश्व की सबसे बड़ी राखी बांधी गई। इसके अलावा यूएस, यूके और अन्य देशों से हर वर्ष की तरह भगवान गणपति के लिए राखियां आई थी। कल भगवान की महाआरती के बाद उन्हें विश्व की सबसे बड़ी राखी बांधी गई। इधर ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कल सुबह 9.38 बजे से रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त की शुरूआत हो गई थी। बावजूद इसके मुहूर्त को लेकर दिनभर संशय बना रहा। हालांकि कल संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में था। साथ ही कल श्रवण नक्षत्र होने तथा चंद्रमा के मकर राशि में होने से कल पूर्णिमा के पूरे दिन भद्रा का वास पाताल लोक में होने से दिनभर शुभ मुहूर्त था। लेकिन कुछ ज्योतिषियों के द्वारा मुहुर्त को लेकर संशय पैदा किया गया था। इसी के चलते कई लोग आज भी रक्षाबंधन का पर्व मना रहे हैं।
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