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    इस गांव में 6 दशक से नहीं बंधी किसी भाई की कलाई पर राखी, जानिए इसके पीछे की वजह

  • August 12, 2022

    भीकमपुर: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जा रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के गोंडा (Gonda of Uttar Pradesh) का एक ऐसा गांव है, जहां इस पर्व को मानने पर कोई अनहोनी होने का डर ग्रामीणों (villagers) को सता रहा है. करीब 6 दशक बीच चुके हैं, लेकिन भाइयों की कलाई (brothers wrist) अभी भी सूनी है. अब गांव वालों के दिल में इस पवित्र त्योहार (holy festival) को मनाने की मंशा जगी है. जिसके चलते गांव वालों को किसी बच्चे के पैदा होने का इंतजार है, जिससे इस अनहोनी (untoward) का भय खत्म हो सके. ग्रामीणों की माने तो देश की आजादी के 8 साल बाद रक्षाबंधन के दिन ही गांव निवासी एक परिवार में एक शख्स की हत्या हुई थी, तभी से इस गांव में बहनें रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध रही हैं.

    बता दे की, मामला भीकमपुर जगत पुरवा गांव का है. गांव वालों का कहना है कि अगर उन्होंने रक्षा बंधन का त्योहार मनाया तो उनके साथ कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है. गांव के लोग कई अजीबोगरीब घटनाओं को देखते हुए इस त्योहार को मनाने से बचते हैं. गांव का हर एक शख्स अब रक्षाबंधन पर किसी बच्चे के पैदा होने का इंतजार कर रहा है. उनका कहना है कि ऐसा होने के बाद ही गांव में रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा. जगत पुरवा गांव की छोटी सी आबादी के बीच करीब 200 बच्चे रहते हैं, जिन्हें राखी पर अशुभ घटनाओं का डर रहता है. गांव के बुजुर्गों से भी अक्सर इसके बारे में किस्से सुनने को मिलते हैं.


    लोग कहते हैं कि वजीरगंज क्षेत्र पंचायत के इस गांव में 6 दशक से ज्यादा समय बीत चुका है. जब बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी थी. इतना ही नहीं, इसके आस-पास के गांव में भी लोग रक्षाबंधन का नाम सुनकर घबरा जाते हैं. रक्षाबंधन पर गांव में कोई बहन अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी है. गांव के लोग नहीं चाहते हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा बनाई गई इस परंपरा को तोड़ा जाए.

    ग्रामीण कहते हैं कि यहां के किसी भी घर में जब कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं, तो अजीब सी घटनाएं देखने को मिलती हैं. साल 1955 में रक्षाबंधन के दिन परिवार में एक शख्स की हत्या कर दी गई थी और तभी से गांव के लोग रक्षाबंधन नहीं मनाते है. लोग कहते हैं कि देश की आजादी के 8 साल बाद 1955 में रक्षाबंधन के दिन यहां के एक परिवार में शख्स की हत्या कर दी गई थी, तभी से इस गांव में बहनें रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध रही हैं. करीब एक दशक पहले भी बहनों के अनुरोध पर रक्षाबंधन का त्योहार शुरू करने का फैसला किया गया था, लेकिन यहां फिर एक अजीबोगरीब घटना हो गई. तब से दोबारा किसी ने राखी मनाने की हिम्मत नहीं दिखाई. यह डर आज भी बहनों को भाई की कलाई पर राखी बांधने से उन्हें रोकता है.

    ग्रामीणों का कहना है कि अगर रक्षाबंधन के त्योहार पर उसी परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो इस त्योहार की परंपरा को फिर से शुरू किया जा सकता है. इस लम्हे का इंतजार देखते-देखते करीब तीन पीढ़ियां गुजर गए हैं. सालों से यहां हर भाई की कलाई सूनी ही नजर आती है. अब इस घटना की चर्चा आस पास के इलाकों में भी धीरे-धीरे फैल रही है. अब देखने वाली बात यह होगी कि इस गांव में रक्षाबंधन के दिन उसी परिवार में किसी बच्चे का जन्म कब होगा? और इस गांव के लोग भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार का हिस्सा बन पाएंगे.

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