आगरा। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने अब दलित सफाई कर्मचारी अरुण वाल्मीकि के परिजनों (Dalit family) के लिए 40 लाख रुपये के अतिरिक्त मुआवजे (Excessive compensation) की मांग की है, जिनकी हाल ही में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर मौत हो गई थी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने शोक संतप्त परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया है।
परिवार से मिले टिकैत ने कहा कि एक सफाई कर्मचारी और एक किसान में कोई अंतर नहीं है। सरकार ने लखीमपुर में पीड़ितों को 45 लाख रुपये का भुगतान किया है। “हालांकि जीवन अमूल्य है, आप मुआवजा देते समय लोगों के बीच अंतर नहीं कर सकते। वाल्मीकि के परिवार को उसी तरह का मुआवजा मिलना चाहिए जैसा कि लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों को दिया गया था।”
टिकैत ने कहा कि अगर सरकार ने लखीमपुर के किसानों को 45 लाख रुपये मुआवजा राशि देने की घोषणा की है तो इतनी ही राशि सफाई कर्मचारी के परिजनों को भी दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर वोट देने का अधिकार सभी के लिए समान है, तो मुआवजे की राशि भी समान होनी चाहिए। उन्होंने वाल्मीकि की मौत की न्यायिक जांच की भी मांग की है। टिकैत ने कहा कि सरकार को अरुण वाल्मीकि की पत्नी को नगर निगम में एक स्थायी नौकरी प्रदान करनी चाहिए। 10 लाख रुपये की मुआवजा राशि अपर्याप्त है क्योंकि परिवार में तीन नाबालिग बच्चे हैं, और उनका पूरा जीवन व्यतीत करने के लिए पड़ा है। अगर परिवार की ठीक से देखभाल नहीं गई तो हम विरोध प्रदर्शन करेंगे।
इस बीच, आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा वाल्मीकि के घर और उसके आसपास चार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि उनके घर के आसपास लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके। यह तब किया गया जब परिवार ने पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद से पुलिस द्वारा उत्पीड़न की आशंका व्यक्त की, जो हाल ही में उनसे मिले थे।
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