नई दिल्ली. राज्यसभा (Rajya Sabha) की 12 सीटों (12 seats) पर तीन सितंबर को मतदान होगा. चुनाव आयोग (election Commission) ने 9 राज्यों (9 states) की इन सीटों पर चुनावी कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है. जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें असम, बिहार और महाराष्ट्र (Assam, Bihar and Maharashtra) की दो-दो सीटें हैं. हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा (Haryana, Madhya Pradesh, Rajasthan, Tripura, Telangana and Odisha) की एक-एक सीट है. जो नए सदस्य चुने जाएंगे, उनका कार्यकाल निवर्तमान सदस्यों के बाकी बची अवधि के लिए होगा. यानी इन सभी सदस्यों के कार्यकाल की अवधि अगले साल 2025 से 2028 के बीच खत्म होगी. जानिए किस राज्य में क्या चुनावी समीकरण हैं?
असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेद प्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के इस्तीफे के बाद ये 10 सीटें खाली हुई हैं. इन सभी सदस्यों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है. वहीं, तेलंगाना के केशवराव और ओडिशा की ममता मोहंता ने इस्तीफे दिया है, जिसके बाद इन खाली हुईं सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. चुनाव के लिए नामांकन 14 अगस्त से शुरू होंगे. मतदान 3 सितंबर को होगा. संबंधित राज्यों की विधानसभाओं में सुबह 9 बजे से 4 बजे तक वोटिंग होगी. उसी दिन शाम 5 बजे से काउंटिंग होगी और रात तक नतीजे आएंगे.
राज्यसभा की जिन 12 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें सबसे ज्यादा 7 राज्यसभा सांसद बीजेपी के थे. उसके बाद कांग्रेस के दो, बीआरएस, बीजेडी और आरजेडी का एक-एक सदस्य था.
बीजेपी का असम-महाराष्ट्र में दो-दो, मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा में एक-एक सीट पर कब्जा था. हरियाणा-राजस्थान में कांग्रेस का एक-एक और बिहार में आरजेडी का एक सीट पर कब्जा था. इसी तरह, तेलंगाना में बीआरएस का एक और ओडिशा में बीजेडी का एक सीट पर राज्यसभा सांसद था. तेलंगाना में के. केशवराज बीआरएस छोड़कर जुलाई में कांग्रेस में शामिल हो गए. जबकि ओडिशा की ममता मोहंता हफ्तेभर पहले ही बीजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.
क्या हैं चुनावी समीकरण?
ताजा समीकरणों को देखें तो महाराष्ट्र-बिहार और हरियाणा में बीजेपी अपना प्रदर्शन दोहराने को लेकर आश्वस्त है. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति के पास पर्याप्त संख्या बल है. हालांकि, मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलने से NDA के सहयोगी शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित गुट में नाराजगी देखने को मिली थी. इसी तरह, बिहार में भी एनडीए की सरकार है. यहां बीजेपी के समीकरण गठबंधन के सहयोगी दलों पर निर्भर करेंगे. हरियाणा में भी टफ फाइट देखने को मिल सकती है. दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP के साथ छोड़ने से बीजेपी का संख्याबल कम हुआ है. महाराष्ट्र और हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं. चुनावी राज्यों के नतीजों पर हर किसी की नजरें टिकी हैं.
असम, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा में भी बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद है कि वो दो-तीन सीटों और जीत हासिल कर सकती है. हालांकि, यह आसान नहीं है. बीजेपी को जिन राज्यों से ज्यादा उम्मीदें हैं, उनमें राजस्थान और ओडिशा का नाम शामिल है. यहां बीजेपी का खास फोकस है. चूंकि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान में बंपर जीत हासिल की है. बीजेपी इस बार राजस्थान में कांग्रेस से सीट छीन सकती है. इसी तरह, ओडिशा में बीजेडी को झटका लग सकता है और बीजेपी ये सीट छीन सकती है. 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ओडिशा में बड़ी जीत हासिल की है. बताते चलें कि तेलंगाना की बीआरएस और ओडिशा की बीजेडी अभी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
विपक्षी गठबंधन को क्या उम्मीदें?
विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक को महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना से उम्मीदें हैं. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की कोशिश रहेगी कि एक सीट महायुति से छीनी जाए. हालांकि, यह आसान नहीं है. हरियाणा में भी JJP के साथ छोड़ने से समीकरण बदले हैं. कांग्रेस-बीजेपी के आंकड़े में ज्यादा अंतर नहीं है. कांग्रेस के लिए तेलंगाना से खुशखबरी है. राजस्थान में कांग्रेस एक सीट गंवा सकती है तो इस नुकसान की भरपाई तेलंगाना में होने के चांस बन गए हैं. सत्तारूढ़ कांग्रेस यहां बीआरएस से सीट छीन सकती है.
बिहार में बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबला है. दोनों दलों के सामने अपनी-अपनी सीटें बचाने की चुनौती है. हालांकि, अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो बीजेपी को झटका लग सकता है. यहां बीजेपी और आरजेडी एक-एक सीट जीत सकती है. बिहार में जेडीयू के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है. वहां नीतीश कुमार के पाला बदलने से चुनावी समीकरण बदल गए हैं.
जानिए सभी 9 राज्यों में किस पार्टी के कितने विधायक?
असम: विधानसभा में कुल 126 सीटें हैं. बीजेपी के पास 60 सीटें हैं और बहुमत की सरकार है. चूंकि यहां राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव होने हैं. उम्मीद लगाई जा रही है कि बीजेपी ये दोनों सीटें आसानी से जीत सकती है.
बिहार: विधानसभा में 243 सीटें हैं. सत्तारूढ़ एनडीए में BJP के 78 विधायक हैं. JDU के 44 और HAM के 3 विधायक हैं. INDIA ब्लॉक की RJD के 77 विधायक हैं. कांग्रेस के 19 और CPI के 15 विधायक हैं. जबकि एक AIMIM और दो निर्दलीय विधायक हैं. चार सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं. दोनों गठबंधन की पार्टियों के बीच 14 सीटों का अंतर है. यहां क्रॉस वोटिंग समीकरण और बिगाड़ सकती है.
हरियाणा: राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं. सत्तारूढ़ BJP के पास 41 और एक HLP पार्टी से विधायक हैं. पांच निर्दलीय हैं. इनमें तीन विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. 2 निर्दलियों का बीजेपी को समर्थन है. विपक्ष में कांग्रेस के पास 29 विधायक हैं. जबकि जेजेपी के पास 10 और इंडियन नेशनल लोकदल के पास एक विधायक है. JJP किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है. तीन सीटें खाली हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. चुनाव में बीजेपी उतरती है तो उसका पलड़ा भारी है. हालांकि, क्रॉस वोटिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है. और अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को सीधे फायदा मिलेगा.
मध्य प्रदेश: विधानसभा की 230 सीटें हैं. यहां बीजेपी की 163 सीटें हैं. कांग्रेस की 66 और अन्य की 1 सीट है. यहां भी बीजेपी उम्मीदवार का जीतना लगभग तय माना जा रहा है.
महाराष्ट्र: राज्य में विधानसभा की 288 सीटें हैं. सत्तारूढ़ NDA के पास 211 विधायक हैं. इनमें बीजेपी के 103, एनसीपी (अजित पवार) के 40, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के 38 समेत निर्दलीयों का समर्थन शामिल है. वहीं, MVA में शामिल कांग्रेस के 37, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और एनसीपी (शरद पवार) के 12 सदस्य हैं. अन्य पार्टियों में बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, समाजवादी पार्टी के दो, एआईएमआईएम के दो, प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो, पीडब्ल्यूपी के एक, राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के एक, जन सुराज्य शक्ति के एक और 13 निर्दलीय सदस्य हैं. राज्यसभा की जो दो सीटें खाली हुई हैं, वे बीजेपी की हैं. यहां भी दोनों सीटें बीजेपी के खाते में जाते दिख रही हैं.
राजस्थान: विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं. सत्तारूढ़ BJP के 114 विधायक हैं. कांग्रेस के 66, भारत आदिवासी पार्टी के 3, बहुजन समाज पार्टी के 2, राष्ट्रीय लोकदल का एक विधायक है. 8 निर्दलीय विधायक हैं. 6 सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं. नंबर गेम देखा जाए तो राजस्थान में भी बीजेपी के जीतने के चांस हैं.
त्रिपुरा: राज्य में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं, बीजेपी के पास 32 विधायक हैं. कांग्रेस और लेफ्ट अलायंस को सिर्फ 14 सीटें मिली थीं. 13 सीटों पर टिपरा मोथा पार्टी के विधायक चुने गए थे. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पास नंबर ज्यादा हैं इसलिए यहां भी बीजेपी की जीत होते दिख रही है.
तेलंगाना: विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं. सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास 65 विधायक हैं. बीआरएस के 38 और बीजेपी के पास 8 विधायक हैं. एआईएमआईएम के 7 और सीपीआई के पास 1 विधायक है. राज्य में नंबरगेम कांग्रेस के पास है.
ओडिशा: विधानसभा की कुल 147 सीटें हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 78 विधायक हैं. बीजेडी के पास 51 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 14 और वाम मोर्चा के पास 1 और निर्दलीय 3 विधायक हैं. यहां बीजेपी का पलड़ा भारी है.
किसने कहां से लोकसभा चुनाव जीता?
– बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने मुंबई उत्तर सीट से लोकसभा चुनाव जीता है. वे पहली बार आम चुनाव जीते हैं. गोयल इस समय मोदी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हैं. वे मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकालों में भी मंत्री रहे हैं.
– बीजेपी नेता सर्बानंद सोनेवाल ने असम की डिब्रूगढ़ सीट से जीत हासिल की है. वे मोदी सरकार में मंत्री हैं. वे असम के मुख्यमंत्री भी रहे हैं.
– बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश की गुना सीट से लोकसभा चुनाव जीता है. वे मोदी सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं. उनके पास दूरसंचार विभाग और पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है.
– इसके अलावा, कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीता. वे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे हैं.
– बिहार में आरजेडी की मीसा भारती ने पाटलिपुत्र सीट से चुनाव जीता है. बीजेपी नेता विवेक ठाकुर ने नवादा से जीत हासिल की है. बीजेपी नेता कामाख्या प्रसाद तासा ने असम की जोरहाट सीट और बिप्लब कुमार देब वेस्ट त्रिपुरी से चुनाव जीते हैं. केसी वेणुगोपाल को केरल की अलप्पुझा सीट से जीत मिली है.
कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव?
राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं. इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है. चयन प्रक्रिया को समझने के लिए आपको +1 का फॉर्मूला समझना जरूरी होगा. इस प्रक्रिया को समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं. दरअसल, राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है. इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है.
इसे ऐसे समझिए, अगर किसी राज्य में 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो यह संख्या 11 हो जाएगी. अब विधानसभा सीटों की संख्या देखी जाएगी. उस राज्य में अगर 399 विधायक हैं तो इसमें 11 का भाग दिया जाएगा. ऐसे में संख्या 36.272 आएगी. इसे 36 माना जाएगा. अब इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो संख्या 37 हो जाएगी. यानी राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी. राज्यसभा चुनाव के लिए सभी विधायक सभी उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं करते हैं. एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है. उन्हें बताना पड़ता है कि पहली पसंद कौन है और दूसरी पंसद कौन है.
राज्यसभा में अभी किस पार्टी के कितने सदस्य?
राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं. इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं. बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं. किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है. वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी के 87, जेडीयू के 4, एनसीपी के 2, जेडीएस का एक, आरएलडी का एक, आरपीआई का एक, शिवसेना का एक सदस्य है. विपक्ष में कांग्रेस के 26, टीएमसी के 13, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके 10, आरजेडी के 5, वाम मोर्चा के 6, समाजवादी पार्टी के 4, जेएमएम के 3, मुस्लिम लीग के 2, शरद पवार गुट के 2, उद्धव ठाकरे गुट के 2, केरल कांग्रेस(M) का एक, MDMK का एक सदस्य हैं. वहीं, बीजेडी के 8, AIDMK के 4, बीआरएस के 4, YSRCP के 11, असम गाना परिषद का एक, बसपा का एक, मिजो नेशनल फ्रंट का एक, एनपीपी का एक, पीएमके का एक, TMC (M) का एक, UPP (L) का एक सदस्य है. नॉमिनेट की संख्या 6 है. निर्दलीय और अन्य की संख्या 3 है.
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