इन्दौर। एक तरफ राजवाड़ा के व्यवसायी सडक़ पर कारोबार करने वालों के साथ अवैध ठेलों को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ ठेला चालकों का कहना है कि पथ विक्रेता कानून की अनदेखी नहीं की जा सकती। एक तरफ शासन पथ विक्रेताओं को 10-10 हजार का लोन दे रही है, दूसरी तरफ उन्हें हटाया जा रहा है।
पिछले हफ्तेभर से राजवाड़ा के सभी व्यापारी एकजुट होकरे बदहाल यातायात और पार्किंग व्यवस्था को बेहतर करने के प्रयास में जुटे हैं, ताकि राजवाड़ा को आदर्श व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जा सके। मुख्यमंत्री से लेकर सभी दलों के नेताओं को इंदौर रिटेल गारमेंट एसोसिएशन ने पत्र लिखे हैं।
इसके अध्यक्ष अक्षय जैन का कहना है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट गोपाल मंदिर, बांके बिहारी मंदिर के आसपास के क्षेत्र को अतिक्रमणविहीन रखा जाना चाहिए, लेकिन पूरा इलाका बेतरतीब पटरी बाजार, हाथ फेरी, ठेला चालकों ने अतिक्रमित कर रखा है और पुलिस व यातायात विभाग भी सहयोग कर रहा है, लेकिन नगर निगम आधे-अधूरे मन से कार्रवाई करता है। दरअसल, निगम के सामने परेशानी यह है कि वह एक तरफ पथ विक्रेताओं को शासन निर्देश पर रोजगार के लिए 10-10 हजार का ऋण उपलब्ध करवा रहा है, जो फुटपाथ और ठेला चालकों को दिया जा रहा है, दूसरी तरफ उन्हें सडक़ों से खदेड़ा कैसे जाए..? इसी मुद्दे पर ठेला चालकों की ओर से राजेश बिडक़र द्वारा पत्रकार वार्ता भी ली जा रही है, जिसमें राजवाड़ा पर छोटे व्यवसायियों को ना हटाने की मांग की गई है।
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