नई दिल्ली: अयोध्या (Aayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के उद्घाटन का जश्न मनाने की तैयारी पूरे देश में चल रही है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने लोगों से घरों में दीये जलाने (lighting lamps) की अपील की है. लोगों ने इसकी तैयारियां भी कर ली हैं. राम लला के विराजमान होने की खुशी में कई लोग हजार किमी तक की यात्रा पैदल करके अयोध्या पहुंच रहे हैं और मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं, लेकिन इस बीच अयोध्या के बगल में मौजूद एक गांव भी अचानक से चर्चा में आ गया है.
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं उसका नाम सरायपासी (Saraipasi) है. अयोध्या से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में राजपूतों (Rajputo) की संख्या सबसे ज्यादा है. ये लोग खुद को सूर्यवंशी (Suryavanshi) कहते हैं. बताया जाता है कि इस गांव के राजपूतों ने रामलला को दिये वचन को निभाने के लिए 500 साल तक न पगड़ी बांधी (tied a turban) न छतरी का इस्तेमाल किया. आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला.
बाबर की सेना से भिड़े थे यहां के लोग
बताया जाता है कि जब बाबर के सेनापति मीर बाकी ने रामलला के मंदिर को तोड़कर राम के जन्मस्थान पर मस्जिद का निर्माण शुरू किया तो इस गांव के लोगों ने बाबर की सेना से लड़ाई छेड़ दी. इस युद्ध में कई लोग शहीद हुए. गांव के लोगों ने कई बार मस्जिद को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके. आखिरकार कुछ समय बाद वहां मस्जिद का निर्माण हो गया.
इस वजह से लिया था पगड़ी न बांधने का प्रण
इसके कई साल बाद यहां रहने वाले क्षत्रिय समाज के लोगों ने प्रण लिया की जब तक रामलला अपने स्थान पर विराजमान नहीं हो जाएंगे तब तक इस गांव का कोई भी क्षत्रिय न तो सिर पर पगड़ी धारण करेगा और न ही धूप में छतरी धारण करेगा. बताया जाता है कि यह प्रण करीब 500 साल पहले लिया गया था. तब से इसे निभाया जा रहा है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुछ लोगों ने पगड़ी बांधी, लेकिन अधिकतर लोग रामलला के विराजमान होने का इंतजार कर रहे हैं. इनका कहना है कि 22 को जैसे ही रामलला अपनी जगह पर विराजेंगे, वैसे ही हम पगड़ी बांध लेंगे.
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