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राजपथ पर भारत की बढ़ती ताकत देखेगी दुनिया

January 25, 2021

– योगेश कुमार गोयल

गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतवासी की अस्मिता का अभिन्न अंग है। राष्ट्रीय गौरव के इस अवसर पर प्रतिवर्ष राजपथ पर होने वाली वार्षिक परेड देश की सांस्कृतिक विरासत और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती है और पूरी दुनिया राजपथ पर भारत की लगातार बढ़ती ताकत को देखती है। सही मायनों में गणतंत्र दिवस परेड भारत की ताकत को पूरी दुनिया के सामने रखने का एक बड़ा अवसर होता है। इस विशेष अवसर पर हर साल राजपथ पर परेड तथा रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, देश की संस्कृति और परम्पराओं को प्रदर्शित करने के लिए राज्यों की झांकियां निकाली जाती हैं और तीनों सेनाओं के जवान पूरे विश्व को भारत की ताकत दिखाने के लिए अनोखे करतब दिखाते हैं।

कोरोना महामारी के कारण कोरोना प्रोटोकॉल के चलते गणतंत्र दिवस परेड पर होने वाले आयोजनों में इस बार कई तरह के बदलाव किए गए हैं। परेड हर साल विजय चौक से लाल किले तक जाती थी लेकिन परेड की दूरी कम की गई है। पहले परेड की लम्बाई विजय चौक से लाल किले तक 8.2 किलोमीटर होती थी लेकिन इस बार विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक इसकी दूरी 3.3 किलोमीटर ही होगी और इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब गणतंत्र दिवस परेड का समापन लाल किले पर नहीं बल्कि नेशनल स्टेडियम पर होगा। प्रतिवर्ष परेड देखने के लिए राजपथ पर 1.15 लाख लोग मौजूद रहते थे लेकिन इस बार परेड में शामिल होने वाले लोगों की संख्या को कम करके 25 हजार तक सीमित किया गया है। परेड में शामिल होने के लिए 32 हजार टिकट बेचे जाते थे लेकिन इस बार टिकट लेकर केवल 7500 लोग ही शामिल हो पाएंगे। 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को परेड में शामिल होने और खड़े होकर परेड देखने की दर्शकों को अनुमति नहीं है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की संख्या में भी कमी की गई है। गणतंत्र दिवस परेड के प्रत्येक दस्ते में अब तक 144 लोग होते थे लेकिन इस बार हर दस्ते में 96 लोग ही होंगे।


गणतंत्र दिवस परेड में सितम्बर 2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल किए गए राफेल लड़ाकू जेट पहली बार अपनी गर्जना के साथ पूरी दुनिया को भारत की बढ़ती ताकत का अहसास कराएंगे। राफेल ‘वर्टिकल चार्ली’ बनाकर फ्लाईपास्ट के जरिये परेड का समापन करेंगे। बता दें कि ‘वर्टिकल चार्ली’ में विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए ऊपर की ओर जाते हैं और फिर ज्यादा ऊंचाई पर जाने के बाद कलाबाजी करते हैं। फ्लाईपास्ट का समापन राफेल के वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन में उड़ान भरने से होगा। फ्लाईपास्ट में वायुसेना के कुल 38 विमान तथा थलसेना के चार विमान शामिल होंगे। कुछ विमान पहली बार राजपथ पर परेड का हिस्सा बनेंगे, जिनमें सुदर्शन, रक्षक, एकलव्य, ब्रह्मास्त्र इत्यादि शामिल हैं। गणतंत्र दिवस परेड में राफेल सहित कुल 42 विमान हिस्सा लेंगे, जिनमें 15 लड़ाकू विमान, 5 ट्रांसपोर्ट और 17 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। फ्लाईपास्ट पारम्परिक तौर पर दो खण्डों में विभाजित होगा, पहला परेड के साथ और दूसरा परेड के बाद होगा।

फ्लाईपास्ट के पहले खण्ड में तीन फॉर्मेशन होंगे, जिनमें पहला निशान फॉर्मेशन होगा, जिसमें सेना के तीनों अंगों के झण्डों के साथ राष्ट्रीय ध्वज लिए हुए 4 मिग-17 शामिल होंगे। उसके बाद आर्मी एविएशन कोर के 4 हेलीकॉप्टर ध्रुव फॉर्मेशन बनाएंगे। तीसरे रूद्र फॉर्मेशन में एक डकोटा तथा दो मिग-17वी5 1971 की लड़ाई में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ मनाएंगे। फ्लाईपास्ट के दूसरे खण्ड में कुल 9 फार्मेशन होंगे, जिनमें सुदर्शन, रक्षक, एकलव्य, ब्रह्मास्त्र, विजय, नेत्र, त्रिनेत्र, भीम, गरूड़ शामिल होंगे। फ्लाईपास्ट के इस खण्ड में दो जगुआर और मिग-29 विमानों के साथ एक राफेल एकलव्य फॉर्मेशन बनाएगा। परेड में भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ वायुसेना की झांकी का हिस्सा होंगी, जो हल्के लड़ाकू विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और सुखोई -30 लड़ाकू विमानों के मॉकअप का प्रदर्शन करेंगी। स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, स्वदेश विकसित एंटी टैंक गाइडेड ध्रुव मिसाइल के मॉडल, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, सुखोई-30 एमकेआई तथा रोहिणी रडार के मॉडल गणतंत्र दिवस परेड की झांकी के अहम हिस्सा होंगे।

गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार 2015 में सेना के तीनों अंगों की पूरी महिला टुकडि़यों ने मार्च किया था। उसी समारोह में पहली बार सीआरपीएफ के नक्सल विरोधी विशेष बल ‘कोबरा’ के कमांडो ने भी मार्च किया था। 2016 की परेड में फ्रांसीसी सैन्य दस्ता और 2017 में यूएई का सैन्य दस्ता भी शामिल हुआ था। 2017 की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार ऐसा हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर पैदल ही राजपथ पर चले थे। उसी परेड में पहली बार पूर्ण स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ ने आसमान में अपने करतब दिखाए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कमांडो का दस्ता भी पहली बार उसी परेड में शामिल हुआ था।

इस वर्ष के गणतंत्र दिवस समारोह में भले ही इस बार परेड में शामिल सैन्य दस्तों और झांकियों की संख्या कम होगी और परेड आधी से भी कम दूरी में ही खत्म हो जाएगी लेकिन 2017 में पहली बार राजपथ पर परेड में शामिल हुए एनएसजी कमांडो इस बार फिर परेड में वापसी कर रहे हैं। एनएसजी प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी राजपथ तथा आसपास के इलाकों में ‘तात्कालिक बैकअप सहायता’ के तहत सुरक्षा उपलब्ध कराता है। इस विशेष बल का गठन 1984 में आतंकरोधी, अपहरणरोधी और बंधक मुक्ति अभियानों के लिए संघीय इकाई के तौर पर किया गया था। अपनी काली पोशाक के कारण ‘ब्लैक कैट’ कहे जाने वाले कमांडो एमपी-5 राइफल, कटार, रात में देखने में सक्षम चश्मों, बुलेट-प्रूफ जैकेट, अपहरण रोधी वैन ‘शेरपा’ सहित अन्य अत्याधुनिक हथियारों और साजोसामान के साथ नजर आएंगे। एनएसजी कमांडो के अलावा परेड में पहली बार 3.25 लाख कर्मियों वाले आंतरिक सुरक्षा बल सीआरपीएफ की झांकी राजपथ पर नजर आएगी। सीआरपीएफ की झांकी में नक्सल विरोधी अभियान, जम्मू कश्मीर में अभियान और पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियान के साथ ही वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने जैसी कानून-व्यवस्था संबंधी उसकी विभिन्न भूमिकाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। सीमाओं की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ का ऊंट सवार बैंड दस्ता परेड के दौरान अपनी रंगारंग वेशभूषा और सजे-धजे ऊंटों के साथ राजपथ पर अपनी सुर-लहरियां बिखेरता हुआ गुजरेगा। उसके बाद एलएसी की निगरानी की जिम्मेदारी संभालने वाले आईटीबीपी का मार्चिंग और बैंड दस्ता परेड में गुजरेगा।

गणतंत्र दिवस परेड में इस वर्ष 26 झांकियां ही शामिल होंगी, जिनमें 9 केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों की जबकि 17 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की होंगी। परेड में इस बार ‘अयोध्या: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ झांकी में अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर सहित वहां की संस्कृति, परम्परा, कला और विभिन्न देशों से अयोध्या तथा भगवान राम से संबंधों का चित्रण भी किया जाएगा। परेड में झांकी के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस वर्ष 32 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया था लेकिन उनमें से 17 राज्यों की झांकियों का ही चयन हो पाया। परेड में 1971 की बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बांग्लादेश सशस्त्र बलों की एक टीम भी हिस्सा लेगी। इस बार 23 बैंड (18 सेना से, एक नेवी, एक भारतीय वायुसेना तीन केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से) 24 संगीत धुनों को बजाने के लिए निर्धारित हैं। अगले साल भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है, ऐसे में संस्कृति मंत्रालय अपनी झांकी में आजादी के 75 साल को प्रदर्शित करेगा जबकि सूचना प्रसारण मंत्रालय अपनी झांकी में ‘न्यू इंडिया’ को प्रदर्शित करेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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