नई दिल्ली। चीन का नाम लिए बिना रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में हमें मत्स्य न्याय स्वीकार नहीं, जहां बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है। उन्होंने यहां पूर्वी नौसेना कमान की तैयारियों की समीक्षा के लिए आईएनएस जलाश्व का दौरा करते समय यह बात कही। दूसरी बार रक्षा मंत्री बनने के बाद राजनाथ की यह पहली यात्रा थी।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपने मित्र राष्ट्रां के साथ मिलकर काम करेगा और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना के साथ आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने होगा। वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसैनिक शक्ति की उपस्थिति को और अधिक प्रभावी और मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र को मत्स्य न्याय क्षेत्र नहीं बनने देगा। भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित करेगी कि हिंद महासागर क्षेत्र में कोई भी राष्ट्र अपनी आर्थिक क्षमता और सैन्य ताकत के बल पर किसी दूसरे राष्ट्र की संप्रभुता या रणनीतिक स्वायत्तता को दबा या कुचल न सके।
राजनाथ ने कहा कि देश का हित उसकी समुद्री सुरक्षा से बहुत करीब से जुड़ा है। मजबूत समुद्री सुरक्षा देश की संप्रभुता की ताकत है। भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत समुद्री सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। सुरक्षा के साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र से देश का व्यापक हित जुड़ा है। इस क्षेत्र के जरिये व्यापक पैमाने पर व्यापार होता है। इससे हमारे व्यावसायिक हित जुड़े हैं। भारत इस क्षेत्र में होने वाली मत्स्य पालन और खनन संबंधी गतिविधियों में एक बड़ा हितधारक है। ऐसे में भारतीय नौसेना समुद्री सीमा को सुरक्षित करने के साथ हमारे व्यापक राष्ट्रीय हितों को साधने का भी एक माध्यम है।
पद ग्रहण करने के बाद अपनी पहली पूर्वी कमान की यात्रा पर उन्होंने कहा कि उनकी पहली यात्रा में हमेशा एक संदेश होता है। कहा, पिछली बार मैं सियाचिन गया था। यह सरकार की देश की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताने का तरीका है। इस यात्रा से यह पता चला कि हमारा पूरा ध्यान उत्तरी सीमा की सुरक्षा पर है। हमने अपने पिछले कार्यकाल में ऐसा किया भी, चाहे वह बुनियादी ढांचों का विकास हो, सड़क से जोड़ना हो या शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना हो, हमारी सरकार ने इन सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि सरकार ने हिंद महासागर क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया।
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