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    राजस्थान : नागौर में मातारानी को चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब

  • September 26, 2022

    • डाकुओं ने मंदिर का कराया था निर्माण

    नागौर। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) आज से शुरू हो गई है। सुबह (Morning) से मंदिरों (Temple) में दर्शन-पूजन (Darshan-worship) और यज्ञ-अनुष्ठान (Yagya-ritual) चल रहे हैं। लोग नौ दिन व्रत (Fast) रखने सहित विभिन्न माध्यमों से मातारानी को प्रसन्न (Happy) करने में जुट गए हैं। इस दौरान साफ-सफाई (Cleanliness) और शुद्धता Chastity) का विशेष ध्यान रखा जाता है। लेकिन राजस्थान में ऐसा देवी मंदिर है जहां मातारानी को प्रसन्न करने के लिए शराब चढ़ाई जाती है। इसका डाकुओं ने निर्माण कराया था।


    भंवाल माता मंदिर
    राजस्थान के नागौर जिले में मां भंवाल काली माता का मंदिर स्थित है। दूसरे देवी मंदिरों में माता को भोग में लड्डू, पेड़े, हलवा चना और नारियल आदि का भोग लगता है। लेकिन भंवाल काली माता मंदिर में भक्त देवी को शराब को भोग लगाते हैं। मान्यता है कि यहां माता ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं। इसके बाद बचे हुए प्याले की शराब को भैरव पर चढ़ाया जाता है। मंदिर निर्माण की बात करें तो इस मंदिर का निर्माण डाकूओं ने करवाया था। मंदिर के शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1380 को हुआ था।

    मंदिर के चारों और देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं और कारीगरी की गई है। मंदिर के ऊपरी भाग में एक गुप्त कक्ष भी बनाया गया था, जिसे गुफा कहा गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि भुंवाल माता एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुई थीं। इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देखकर डाकुओं ने मां दुर्गा को याद किया। मां ने अपनी शक्ति से डाकूओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकूओं के प्राण बच गए। इसके बाद डाकुओं ने मां के मंदिर का निर्माण करवाया।

    चांदी के प्याले में शराब रख लगाते हैं भोग
    श्रद्धालुओं ने बताया कि वे मंदिर में मदिरा लेकर आते हैं। फिर पुजारी चांदी के ढाई प्याले में भरते हैं। इसके बाद पुजारी देवी के होठों तक प्याला लगाते हैं। मदिरा का भोग लगाते समय माता को देखना वर्जित है। प्याले में एक बूंद भी बाकी नहीं रहती। यहां माता को मदिरा चढ़ाने का एक नियम भी है। श्रद्धालु ने जितना प्रसाद चढ़ाने की मन्नत मांगी है, मां को उतने ही मूल्य का प्रसाद चढ़ाना होता है। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मुराद मांगो, मात जरुर पूरी करती हैं।

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