कांग्रेस नेताओं ने मायावती को बताया भाजपा की बी टीम
जयपुर। राजस्थान का सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे शह-मात के खेल में बसपा ने एंट्री करते हुए कांग्रेस के खिलाफ दांव चला। बसपा ने पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने वाले छह विधायकों को विधानसभा में गहलोत सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया, लेकिन यह दांव मायावती के लिए ही उल्टा पड़ गया है।
राजस्थान में बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट से खारिज हो गई है। ऐसे में सियासी तौर पर बसपा को राजस्थान के संग्राम में कांग्रेस के खिलाफ खड़े होने का किसी तरह का कोई राजनीतिक फायदा तो नहीं मिला बल्कि बीजेपी के सहायक होने का आरोप जरूर लगने लगा है। कांग्रेस नेताओं ने मायावती को बीजेपी की बी टीम तक बता डाला। इस तरह से बसपा को न माया मिली और न राम।
बसपा के राष्ट्रीय पार्टी होने का संबंध राजस्थान के विधानमंडल की संख्या से नहीं है। ऐसे में बसपा का यह बयान सिर्फ बीजेपी को राजनीतिक संदेश देने के लिए दिया गया है कि राजस्थान की लड़ाई में हम आपके साथ खड़े हैं। मायावती की अपनी कुछ राजनीतिक मजबूरियां हैं, जिसकी वजह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वो कहीं न कहीं अपने आपको कांग्रेस के खिलाफ और बीजेपी के साथ खड़ी दिखाना चाहती हैं। इससे बसपा को राजनीतिक तौर पर कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही हो रहा है।
दरअसल, बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने रविवार को पार्टी की ओर से एक व्हिप जारी किया था, जिसमें राजस्थान में छह विधायकों को विधानसभा में कांग्रेस सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए कहा गया है। मिश्रा ने कहा कि संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा और अगर व्हिप के खिलाफ जाएंगे तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
वहीं, बसपा के व्हिप पर कांग्रेस की ओर से पेश हुए वकील सुनील फर्नांडीस ने दावा किया है कि दसवी अनुसूची में एक राष्ट्रीय पार्टी की एक इकाई का दूसरे राष्ट्रीय पार्टी के साथ विलय करने की अनुमति दी गई है। विलय महीनों पहले हुआ था। यह आश्चर्य की बात है कि बीएसपी का केंद्रीय नेतृत्व अब जागा और विलय को गैरकानूनी मान लिया। दसवीं अनुसूची विधायक दल के विलय की भी अनुमति देती है। यहां मूल पार्टी का विलय नहीं हो सकता है, लेकिन एक विधायक दल के सदस्यों को संविधान के दलबदल कानून के तहत किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करने का अधिकार है।
ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती कहते हैं कि राजस्थान के सियासी घटनाक्रम में बसपा का स्टैंड तकनीकी रूप से सही हो सकता है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक रूप से इसका संदेश सही नहीं गया है। हालांकि, राजस्थान में कांग्रेस ने मायावती के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला लिया है। ऐसे में मायावती उनके साथ दोस्त की तरह पेश नहीं आएंगी। एक राजनीतिक दल के रूप में बसपा का स्टैंड सही है, लेकिन आज देश में जरूरत लोकतंत्र और संविधान को बचाने की है। ऐसे में बसपा को समझना चाहिए कि लोकतंत्र को बचाने के लिए कौन लड़ रहा है और कौन नहीं।
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