जयपुर (Jaipur)। राजस्थान (Rajasthan) में सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) के बीच जंग एक बार फिर जमीन पर आ चुकी है। इस बार सचिन पायलट पूरी फॉर्म में हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साध रहे हैं। सचिन पायलट अशोक गहलोत को उनके ही अंदाज में जवाब दे रहे हैं। वहीं, इस बात ने कांग्रेस आलाकमान (congress high command) के माथे पर जरूर चिंता की लकीरें खींच दी होंगी। राजस्थान में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा (bharat jodo yatra) से ऐन पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने दोनों के बीच सुलह करा दी थी। इसके बाद माना जा रहा था कि अब आगामी चुनावों तक दोनों पक्षों में शांति बनी रहेगी। मगर इस बार सचिन पायलट ने आलाकमान को अपने तेवर दिखा दिए हैं।
इशारों-इशारों में तंज
सचिन पायलट जयपुर के महाराजा कॉलेज में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक तरफ अपने पुराने संघर्षों को याद किया, वहीं दूसरी तरफ इशारों-इशारों में अशोक गहलोत पर तंज भी कसा। पायलट ने कहा कि सियासत के अखाड़े में बड़े-बड़े मात खा जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कह डाला कि जिह्वा पर लगाम रखनी जरूरी है, क्योंकि बोली हुई बात फिर से वापस नहीं आती है। पायलट ने कहा कि सब लोग जानते हैं कि मेरे बारे में क्या-क्या बोला गया? लोगों को वही बातें बोलनी चाहिए, जो वह अपने बारे में सुनने की हिम्मत रखता हो। साथ ही उन्होंने यह भी ताकीद कर डाली कि इज्जत देने पर ही इज्जत मिलती है।
न्यूजीलैंड के पीएम का हवाला
अपने संबोधन के दौरान सचिन पायलट सिर्फ यहीं नहीं रुके। उन्होंने राजनीति में लोकप्रियता और समय का भी हवाला दे डाला। इसके लिए सचिन पायलट ने न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री का उदाहरण दिया। पायलट ने कहा कि कि न्यूजीलैंड में वहां की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री ने पब्लिक रेटिंग कम होने पर इस्तीफा देने का फैसला लिया। साथ ही पार्टी में रहकर सेवा करने की बात भी कही। सचिन पायलट ने न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री से सीख लेने की जरूरत भी बताई। उन्होंने कहा कि रेटिंग घटाने या बढ़ाने का काम आम जनता करती है। इसलिए हमें जनता की भावना को सर्वोपरि मानना चाहिए।
आखिर गहलोत को क्यों सुना रहे पायलट
बता दें कि पिछले काफी अरसे से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खटपट चल रही है। इसकी जड़ में है, सचिन पायलट की वह बगावत जो उन्होंने गहलोत सरकार को उखाड़ने के लिए कई साल पहले अंजाम दी थी। इसको लेकर अशोक गहलोत गाहे-बगाहे सचिन पायलट पर तंज कसते रहते हैं। पिछले साल जब गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शामिल थे तो पायलट को राजस्थान के सीएम की कुर्सी मिलनी तय लग रही थी। ऐन उसी वक्त गहलोत समर्थक विधायकों ने बागी अंदाज से सरकार पर ही संकट ला दिया था। बाद में कांग्रेस आलाकमान ने बड़ी मुश्किल से इन हालात पर काबू पाया। हालांकि गहलोत ने पायलट पर हमला बोलना जारी रखा और उन्हें गद्दार तक कह डाला था। अब पायलट भी गहलोत को उनके ही अंदाज में हमला बोल रहे हैं।
कांग्रेस के लिए इसलिए खतरा
राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही जुबानी जंग कांग्रेस के लिए खतरा बन सकती है। असल में यहां पर कांग्रेस सत्ता में है और वह प्रदेश में भाजपा की कमजोर हालत को देखते हुए फिर से चुनाव जीतने का मंसूबा पाले है। लेकिन राजस्थान में जिस तरह से कांग्रेस के दो शीर्ष नेता आपस में उलझे हुए हैं, वह उसके लिए चुनौती बन रहा है। ऐसे में राजस्थान में सियासी मंसूबे के लिए खतरा पैदा हो गया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस नई परिस्थिति से पार पाने के लिए क्या इंतजाम करता है।
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